पिछले कुछ महीनों के दौरान और खासकर नोटबंदी के बाद भारत सरकार की ओर से सबसे ज्यादा इस बात की वकालत की गई कि लोग नकदी रहित लेनदेन की ओर कदम बढ़ाएं। लेकिन बीते तीन-चार दिनों में दुनिया भर में जिस तरह साइबर हमले का असर देखा गया, उससे यह सवाल उठा है कि क्या पूरी तरह सुरक्षित तंत्र के बिना इंटरनेट पर निर्भरता एक उचित व्यवस्था है? मंगलवार को रैंसमवेयर वानाक्राई नाम के वायरस के जरिए तकरीबन डेढ़ सौ देशों के कंप्यूटर तंत्र पर सबसे बड़ा हमला किया गया और इसकी जद में दुनिया के लाखों कंप्यूटर आए।
माना जा रहा है कि इस हमले में भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा प्रभावित देश है। हालांकि फिलहाल किसी कंपनी या बैंक ने अपने कामकाज में बाधा आने की बात नहीं कही है, लेकिन जिस तरह देश भर में एटीएम बंद रहे और बैंकों का कामकाज प्रभावित रहा, पैसे निकालने वाले परेशान रहे, उससे यह आशंका पैदा होती है कि क्या यह केवल सावधानी बरतने का मामला था या सचमुच इसका असर व्यापक था, जिसके बारे में सही सूचना सामने नहीं आ पा रही है!
आखिर साइबर सेल ने लोगों को वायरस से बचने के लिए ऑनलाइन के बजाय बैंकों में जाकर लेन-देन करने की सलाह दी, तो उसके पीछे कोई आधार जरूर रहा होगा! खबरों के मुताबिक इ-मेल के जरिए भेजी गई अनाम फाइल पर क्लिक करते ही एक वायरस सक्रिय होकर कंप्यूटर में मौजूद फाइलों को ब्लॉक कर देता है और उन्हें फिर से खोलने के लिए फिरौती की मांग करता है।
इससे मची अफरातफरी के बाद पूरा बैकअप नेटवर्क से अलग व्यक्तिगत हार्डडिस्क में रखने, अनजान इ-मेल या भलक पर क्लिक न करने, कंप्यूटर में कुछ अजीब लगने पर तुरंत नेटवर्क से अलग करने या कंप्यूटर के एसएमबी पोर्ट न खोलने जैसी सलाह दी गई है। मगर इन उपायों के अलावा कंप्यूटरों के पूरी तरह सुरक्षित होने की गारंटी कैसे तय की जाएगी, जब साइबर हमला करने वालों ने इतनी आसानी से दुनिया भर की कंप्यूटर व्यवस्था को बचाव की मुद्रा में खड़ा कर दिया! जाहिर है, इसके पीछे कोई संगठित गिरोह है, जिसने कई देशों के सबसे सुरक्षित कंप्यूटर तंत्र में भी सेंध लगा दी।
पर सवाल यह भी है कि जब आधुनिक तकनीकी क्षमता से लैस देशों का कंप्यूटर तंत्र और खुफिया एजेंसियां तक ऐसे साइबर हमले करने वाले माफिया के सामने लाचार हो सकती हैं, तो भारत जैसे देशों में इंटरनेट आधारित कामकाज के पूरी तरह सुरक्षित होने की उम्मीद कैसे की जा सकती है! साइबर हमले के ताजा प्रकरण से स्वाभाविक ही भारत में समूचे कंप्यूटर तंत्र और खासकर ऑनलाइन लेनदेन की व्यवस्था पर विश्वास डगमगाया है। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि भारत में इंटरनेट का प्रसार बड़े दायरे में जरूर हो गया है, लेकिन आम लोगों के बीच इसके सुरक्षित इस्तेमाल को लेकर जागरूकता अभी बहुत निचले स्तर पर है।
ज्यादातर लोग ऑनलाइन कामकाज से लेकर बैंकिंग तक की सुरक्षित गतिविधियों के बारे में पूरी जानकारी नहीं रखते और यही वजह है कि इस मामले में वे पर्याप्त सावधानी नहीं बरत पाते। हाल में ऑनलाइन ठगी के कई बड़े मामले सामने आए। ऐसे में अगर रैंसमवेयर वानाक्राई जैसे साइबर हमला करने वाले किसी माफिया ने संस्थानों के अलावा आम लोगों के इंटरनेट इस्तेमाल को भी निशाना बनाया, तो उसके नतीजों का अंदाजा लगाया जा सकता है।