संसद के बजट सत्र के दूसरे हिस्से में जो कि आगामी 9 मार्च से शुरू होने जा रहा है, उसमें जीएसटी (सीजीएसटी) विधेयक पेश करने की योजना है। इसके संसद से पारित होने के बाद राज्यों की विधानसभाओं में इसे पास करना होगा। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) परिषद ने पिछले सप्ताह गुरुवार को कहा कि आदर्श वस्तु एवं सेवाकर विधेयक में कर की अधिकतम दर (सबसे ऊंची मुख्यद्वार) को प्रस्तावित 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक करने का प्रावधान किया जाना चाहिए। इससे भविष्य में दर बढ़ाने के लिए संसद के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
जीएसटी से जुड़े दो अधिकारियों का कहना है कि शिखर दर में बदलाव से 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत वाले चार स्लेब के कर ढांचे में कोई बदलाव नहीं होगा। लेकिन पहले से किया गया एक तरह का प्रावधान आदर्श कानून में भविष्य में किसी आक्समिक जरूरत से आसानी से निपटने में सहायक होगा। यहां यह उल्लेखनीय है कि आदर्श वस्तु एवं सेवाकर विधेयक के संशोधित मसौदे को पिछले साल नवंबर में सार्वजनिक किया गया था।
इसमें नई व्यवस्था में कर की मुख्य दर 14 (14 प्रतिशत) केंद्रीय जीएसटी और इतना ही राज्य जीएसटी यानी कुल 28 प्रतिशत रखने का प्रावधान किया गया है। आदर्श जीएसटी में दरों की ऊपरी सीमा 14 से बढ़ाकर 20 फीसदी करने का अर्थ है कि केंद्रीय और राज्य जीएसटी मिलाकर अधिकतम टैक्स 40 फीसदी हो जाएगा, जो फिलहाल 28 फीसदी तय किया गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद ने पिछले सप्ताह कानून में कर की ऊपरी दर की सीमा 20 प्रतिशत पर रखने की सहमति दे दी है। परिषद में सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं। यहां यह बता दें कि फिलहाल आदर्श जीएसटी कानून में जीएसटी की अधिकतम कर की दर 14 फीसदी प्रस्तावित है।
जीएसटी परिषद ने कर की अधिकतम दर 20 फीसदी करने का प्रस्ताव रखा है। इस प्रावधान के पास होने पर 40 फीसदी तक वसूला जाएगा। केंद्र और राज्य का कुल मिलाकर कर। जीएसटी परिषद द्वारा प्रस्तावित विधेयक के प्रारूप पर सहमति बनने के बाद राजस्व विभाग ने जमीनी स्तर पर करदाताओं के साथ जुड़े अधिकारियों से कहा है कि वे करदाताओं से फोन, ईमेल के जरिए सम्पर्क कर अपने अस्थायी जीएसटी आईडी को सक्रिय करें और उन्हें नई व्यवस्था में जाने के लिए बिना देरी किए प्रोत्साहित करें ताकि क्रियान्वयन में तेजी आए। विभाग ने इस प्रक्रिया को 31 मार्च तक पूरा करने को कहा है।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम (सीबीईसी) ने क्षेत्रीय मुख्य आयुक्तों से 8 मार्च से साप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट देने को कहा है। जनवरी के शुरू में सीबीईसी ने अपने फील्ड अफसरों से सभी मौजूदा केंद्रीय उत्पाद एवं सेवा करदाताओं को 31 जनवरी 2017 तक जीएसटी पोर्टल पर स्थानांतरित करने को कहा था। ज्यादातर राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में नई व्यवस्था में स्थानान्तरण का आंकड़ा 50 से 90 प्रतिशत के बीच है। सरकार का विचार जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवाकर एक जुलाई से लागू करने का था। किन्तु अब वह तैयारियों के चलते इसे एक जून से लागू करने पर विचार कर रही है।
यह कानून केंद्र और राज्यों के 17 से ज्यादा अप्रत्यक्ष करों के बदले मेें लागू किया जाएगा इसके लागू होने पर उत्पाद शुल्क, सेवाकर, कस्टम ड्यूटी, बिक्रीकर यानी वैट, सीएसटी, मनोरंजन कर, चुंगी, प्रवेश कर, लग्जरी टैक्स आदि समाप्त हो जाएंगे। इससे करों का जाल कम हो जाएगा और कर दरों में भी कमी आएगी। व्यापारियों के लिए व्यापार करना आसान होगा वही आम आदमी को भी इसका फायदा होगा क्योंकि अधिकांश चीजे सस्ती हो जाएगी। संसद के बजट सत्र के दूसरे हिस्से में विपक्ष की रणनीति पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों पर निर्भर रहेगी।
इसी अवधि में जीएसटी विधेयक पर विचार होना है। इन चुनावों में विपक्ष को बढ़त मिलती है तो संसद में हंगामा तय है, वहीं भाजपा बढ़त बनाने में कामयाब रही, तो सरकार को बजट सहित अहम विधेयक पारित कराने में ज्यादा दिक्कतों को सामना नहीं करना पड़ेगा। संसद के बजट सत्र का दूसरा हिस्सा नौ मार्च से शुरू हो रहा है, जबकि पांच राज्यों के चुनाव नतीजे 11 मार्च को आएंगे।