बहिष्कार से बुरी तरह बौखलाया चीन

Samachar Jagat | Thursday, 03 Nov 2016 04:33:46 PM
China badly addled outs

भारत में चीनी सामान के बहिष्कार को लेकर सोशल मीडिया सहित विभिन्न मंचों और संगठनों की ओर से चलाए जा रहे अभियान का असर बाजार पर दिखने लगा है। इससे चीन बुरी तरह बौखला गया है। चीनी सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर भारत में बहिष्कार अभियान ने गति पकड़ी तो इसका असर दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध और भविष्य में होने वाले निवेश पर पड़ सकता है। 

नई दिल्ली में चीनी दूतावास के प्रवक्ता झी लियान ने पिछले सप्ताह गुरुवार को कहा कि सामान के बॉयकाट का नकारात्मक असर भारत में चीन उद्यमों के निवेश पर पड़ रहा है। इससे द्विपक्षीय सहयोग भी प्रभावित हो रहा है, जो न तो चीनी अवाम चाहती है और न ही भारतीय यह देखना चाहेंगे। लियान ने कहा कि चीनी सामान का बॉयकाट दिवाली से संबंधित उत्पादों तक सीमित नहीं है। 

इसका दायरा बढ़ रहा है। दीर्घकाल में बॉयकाट न केवल चीनी उत्पादों की बिक्री को प्रभावित करेगा, बल्कि भारतीय उपभोक्ता बाजार पर भी नकारात्मक असर डालेगा। चीनी प्रवक्ता ने कहा कि बिना किसी विकल्प के इस तरह के अभियान का सबसे अधिक खामियाजा भारतीय कारोबोरियों और उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ेगा। चीन की बौखलाहट की बड़ी वजह उस पर पड़ रही दोहरी मार है। तीन दशक में पहली बार उसकी विकास दर सात प्रतिशत से नीचे आने की आशंका है। पिछले साल उसके कुल निर्यात में कमी आई है।

 ऐसे में भारत में उसके उत्पाद के विरोध से निर्यात में और कमी आने की आशंका बढ़ गई है। चीनी उत्पाद के बॉयकाट के कारण चीनी सामान की बिक्री 60 फीसदी की गिरावट आई है। चीनी सामान के बॉयकाट का दिल्ली सहित 20 बड़े शहरों में ज्यादा असर हो रहा है। यहां यह बता दें कि भारत-चीन का दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा साझेदार है। सन् 2015 में यानी पिछले साल दोनों देशों के बीच 71 अरब डालर का कारोबार हुआ। इसकी वजह से भारत 50 अरब डालर के घाटे में रहा। इधर केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि उसने चीनी उत्पाद पर आधिकारिक रूप से किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। 

विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुसार इस तरह की कार्यवाही सामान्य परिस्थितियों में नहीं की जा सकती है। भारत में चीनी सामान से चिढ़ने की वजह यह है कि चीन आतंकवाद सहित तमाम मुद्दों पर पाकिस्तान का साथ दे रहा है। उड़ी में 18 सितंबर को सैन्य शिविर पर हुए हमले पर ढुलमुल रवैया अपनाया और पाक के समर्थन में ब्रह्मपुत्र नदी की एक सहयोगी नदी का पानी रोका। इसके अलावा मुंबई हमलों में वांछित मसूद अजहर की संयुक्त राष्ट्र से आतंकी घोषित कराने के प्रस्ताव में रोड़े अटकाएं, एनएसजी में विरोध किया जिसके बाद भारत की जनता में चीन के खिलाफ गुस्सा बढ़ा है। 

लोगों में सोशल मीडिया में यह दलील चल पड़ी है कि हमें चीन की पीठ पर नहीं बल्कि पेट पर लात मारनी चाहिए। इससे यह भारत का महत्व समझेगा। हुआ भी यही, दिल्ली के थोक व्यापारियों के अनुसार सोशल मीडिया पर बॉयकाट की अपील का असर है। इसका कितना असर है, इसके बारे में पूर्व में ही लिखा जा चुका है कि चीनी सामान की बिक्री में 60 फीसदी की गिरावट आई है। यह आंकड़ा कम नहीं है यानी बिक्री में करीब-करीब आधी गिरावट आ चुकी है। सोशल मीडिया पर उदाहरण दिया जा रहा है कि आजादी की लड़ाई के वक्त महात्मा गंाधी ने विदेशी सामान के बहिष्कार का लोगों से आह्वाान किया था। विदेशी सामानों की होली जलाई गई। उस तुलना में अभी चीनी सामान के बहिष्कार का सोशल मीडिया में जो हल्ला है, वह स्वयंस्फूर्त है। यही सही है कि चीन के सामान का बहिष्कार करने के कई पहलू है। इसका आर्थिक असर होना है तो इसका कूटनीति पर भी बड़ा असर पड़ेगा। 

भारत आधिकारिक रूप से चीन जैसी महाशक्ति के साथ टकराव लेकर अलग-थलग पड़ने की जोखिम नहीं ले सकता। तभी सरकार की ओर से इस मुहिम पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जा रही है। हालांकि मीडिया में इस पर जंग छिड़ी है। चीन की सरकारी मीडिया ने चेतावनी देते हुए छापा है कि भारत अगर बहिष्कार करता है तो दोनों देशों के संबंधों पर असर पड़ेगा। यही बात नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता झी लियान ने भारत से कहा है कि इससे दोनों देशों के बीच संबंध खराब होंगे और निवेश पर भी असर पड़ेगा। 

कूटनीति से अलग चीनी सामान के बहिष्कार से जुड़ा सबसे बड़ा पहलू आर्थिकी का है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से हुई हर बातचीत में कारोबार संतुलन का मामला उठाया है। भारत की ओर से चीन को जितना निर्यात किया जाता है, उसका छह गुना ज्यादा चीन से आयात होता है। इस बीच पिछले कुछ दिनों से चीन को होने वाला निर्याता लगातार कम होता जा रहा है। 

इससे कारोबार संतुलन बुरी तरह से चीन के पक्ष में झुका हुआ है। चीनी सामान के बहिष्कार को लेकर जहां तक भारत के छोटे कारोबारियों का सवाल है, उनका नुकसान एक सीजन का हुआ है, वह बहुत कम है, क्योंकि चीन से होने वाले आयात में भारी मशीनरी, संचार उपकरण, पेट्रोलियम आदि का बड़ा हिस्सा होता है। दूसरे, भारत के कारोबारियों ने एलईडी से लेकर दूसरी कई चीजें चीन से भी कम दर पर बनानी शुरू कर दी है, जिनका बाजार धीरे-धीरे बढ़ रहा है। इसलिए आम उपभोक्ता को बहुत परेशानी नहीं होगी। लेकिन चीनी मीडिया और सरकार की बेचैनी से लग रहा है कि चीन पर बड़ा भारी असर हो रहा है।



 

यहां क्लिक करें : हर पल अपडेट रहने के लिए डाउनलोड करें, समाचार जगत मोबाइल एप। हिन्दी चटपटी एवं रोचक खबरों से जुड़े और अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें!

loading...
रिलेटेड न्यूज़
ताज़ा खबर

Copyright @ 2024 Samachar Jagat, Jaipur. All Right Reserved.