केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय वित्तीय शिक्षा रणनीति के तहत स्कूलों में बीमा साक्षरता का ज्ञान बच्चों को देने का निर्णय लिया है। इससे संबंधित पाठ 11वीं कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ाया जाएगा। जबकि मुद्रा प्रबंधन, बजट, बैंकिंग, बचत और निवेश को भी स्कूली पाठ्यक्रमों में जोड़ा जाएगा। वित्त मंत्रालय के मुताबिक आईआरडीए, आरबीआई सेबी और पीएफआरडीए ने राष्ट्रीय वित्तीय शिक्षा केंद्र संयुक्त रूप से स्थापित किया है।
इस केंद्र की अगुवाई वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद का तकनीकी समूह कर रहा है। परिषद ने वित्तीय शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करने के बारे में सीबीएसई, आईसीएससीई और एनसीईआरटी समेत सभी राज्यों के शिक्षा बोर्डों से संपर्क साधा है। उसका सुझाव है कि राष्ट्रीय रणनीति के तहत स्कूलों में वित्तीय शिक्षा मुहैया कराया जाना जरूरी है। कई बोर्ड परिषद के इस प्रस्ताव से सहमत है और आगे उनसे चर्चा का विषय यह होगा कि किस कक्षा के पाठ्यक्रम में विभिन्न वित्तीय विषयों को शामिल किया जाए।
मंत्रालय का कहना है कि एनसीईआरटी वित्तीय शिक्षा स्कूल शिक्षा में जोड़ने के लिए किताबों और विभिन्न स्तरों पर नया पाठ्यक्रम विकसित कर रहा है। वह आसान भाषा में परिवार के लिए जीवन बीमा शुरू करने समेत अन्य विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल करेगा। मंत्रालय के अनुसार कक्षा ग्यारह के विद्यार्थियों के लिए व्यवसायिक शिक्षा में प्रमुख विषय के तौर पर जीवन बीमा को शामिल किया जाएगा। साथ ही बचत के महत्व, मुद्रा चलन, बैंकिंग सेवाओं और निवेश के प्रभाव जैसे महत्वपूर्ण विषयों की शिक्षा स्कूल में विभिन्न स्तरों पर दी जाएगी।
इससे स्कूल स्तर पर वित्तीय महत्व के विषयों का ज्ञान बच्चों को हो जाएगा। जबकि अभी वित्तीय शिक्षा से जुड़े सामान्य विषय स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल नहीं होने की वजह से यह प्राथमिक शिक्षा के दायरे से बाहर है। इसी के मद्देनजर परिषद ने वित्तीय शिक्षा से जुड़े अहम विषयों को पाठ्यक्रम में जोड़ने के लिए केंद्रीय और राज्य स्तर के शिक्षा बोर्ड से संपर्क साधा था।
इससे व्यवसायिक उच्च शिक्षा को फायदा मिलेगा क्योंकि बच्चों की रुचि स्कूल स्तर पर वित्तीय शिक्षा से जुड़ने पर स्पष्ट हो जाएगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि रोजमर्रा के कामकाज में शामिल मुद्रा, बैंकिंग और बीमा जैसे विषय मौजूदा समय में स्कूली शिक्षा में शामिल नहीं है। स्नातक स्तर से केंद्रीय और राज्य स्तर पर बोर्ड ने अलग-अलग तरीके से इन विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया है। हालांकि, स्नातक स्तर पर विद्यार्थी चयनित विषय पर आधारित शिक्षा को अपनाते है।