बजट में घोषणाएं तो खूब,अब अमल का इंतजार

Samachar Jagat | Thursday, 09 Mar 2017 04:55:37 PM
Budget announcements are so good, now waiting for Amal

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बुधवार को राज्य विधानसभा  के सदन में राज्य सरकार के वर्ष 2017-18 के वार्षिक बजट प्रस्ताव रखे और जिनका ब्यौरा उन्होंने अपने बजट भाषण में दिया। क्योंकि सदन में सत्तारूढ़ दल का वर्चस्व है इसलिए बजट प्रस्तावों पर चर्चा के बाद इन्हें पारित कर दिया जाएगा , इसमें कोई संदेह नहीं है। बजट प्रस्ताव में असलियत में राज्य सरकार के उस वर्ष की अनुमानित आय और व्यय का ब्यौरा होता है। 

जिस पर आम तौर पर तीन तरह की प्रतिक्रियाएं आती है। एक वे लोग होते हैं जो सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थक होते है और कैसा भी बजट हो उनका काम उसकी भूरि-भूरि प्रशंसा करने का होता है। उन्हें बजट में प्रदेश का विकास नजर आता है और सरकार की दूरदृष्टि का अहसास होता है। यह केवल इस बार के बजट की बात नहीं है। हर बार बजट में ऐसा ही होता है, भले ही वह किसी भी पार्टी की सरकार ने क्यों न बनाया हो। जिस तरह सरकार के समर्थक है उसी तरह सत्ता पक्ष के विरोधी भी है। 

उन्हें हर बजट जनता का अहित करने वाला, आर्थिक बोझ बढ़ाने वाला और अदूरदर्शितापूर्ण तरीके से सरकार की आय को खर्च करने वाला लगता है। जैसे सावन के अंधे को हरा ही हरा नजर आता है वैसे ही इन दो तरह के लोगों को बजट में अच्छा ही अच्छा या बुरा ही बुरा नजर आता है लेकिन सत्य इन सबसे कहीं दूर होता है जिसे वे अपने-अपने राजनीतिक हितों को देखकर देखना ही नहीं चाहते।

 तीसरे तरह का दृष्टिकोण उन आमजनों को होता है जिन्हें इस राजनीति से कोई लेना देना नहीं होता लेकिन उनकी चिंता इस बात पर होती है कि जो भी बजट पेश किया गया है वह उनकी जेब हल्की करेगा या भारी। कहीं वह उनकी माली हालत को और जयादा खराब तो नहीं कर देगा या वह उन्हें कुछ राहत देने वाला होगा। हालांकि उनका दृष्टिकोण भी बजट के प्रति अपने निजी हित तक ही सीमित रहता है । 

उन्हें इस बात का कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता कि जो बोझा उनकी जेब पर लादा गया है वह उनके भविष्य को सुखद बनाने का प्रयास है या नहीं या जो उन्हें राहत दी गई है वह कहीं उनके भविष्य के अच्छे दिन पर कोई कुठाराघात करने वाले है अथवा नहीं। 

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जो बजट प्रस्ताव वर्ष 2017-18 के लिए पेश किए है वह ऐसे लोगों को ये राहत देने वाले जरूर है कि फिलहाल उनकी जेब पर कोई अतिरिक्त भार करों के रूप में लादा नहीं गया है। उसका भी कारण है आने वाले दिनों में देश भर में करों की नई प्रणाली जीएसटी लागू होने वाली है और जैसा कि राज्यों और केंद्र के बीच वार्ताओं के कई दौर चले है उसमें यह लगभग तय हो गया है कि आगामी जुलाई में जीएसटी लागू कर दिया जाएगा। उस समय आम जनता को करों को जीएसटी के हिसाब से चुकाना होगा। 

उस समय हो सकता है कि किसी वस्तु में कर कम लगे और किसी में ज्यादा लेकिन ये भविष्य की बात है। मुख्यमंत्री ने इसी कारण करों में कोई बदलाव सिवाय सिगरेट को छोड़ कर नहीं किया है। आम जनता को अभी से जुलाई में होने वाले करों के बदलाव के लिए तैयार हो जाना चाहिए, जो हो सकता है उनके लिए अच्छा साबित हो और हो सकता है कि उसका उन पर बुरा प्रभाव हो लेकिन यह सब भविष्य के गर्भ में छिपा है। दूसरे आमजन को स्टाम्प ड्यूटी की कई श्रेणियों में छूट दी गई है तथा किसानों को कृषि भूमि आवंटन की बकाया किश्तों में एक मुश्त चुकाने पर ब्याज  में छूट दी गई है। 

इसी प्रकार आमजन को राहत देने के लिए नगर निकायों और आवासन मंडल की बकाया लीज राशि को एकमुश्त चुकाने पर ब्याज और आवंटन की किश्ते एक मुश्त चुकाने पर ब्याज और शास्ति  में पूर्ण छूट दी गई है। सरकार के ये प्रयास इस बकाया राशि को प्राप्त करने की मंशा से किए गए है लेकिन क्योंकि बजट का फाइन प्रिंट अभी नहीं आया, इसलिए ये आकलन करना मुश्किल है कि इससे राज्य सरकार को कितना लाभ होगा। हालांकि ये इन घोषणाओं में साफ नजर आ रहा है कि सरकार एक बार छूट देकर आम जन को बकाया चुकाने को प्रोत्साहित कर रही है लेकिन अगर सरकार के ये प्रयास सफल नहीं हुए तो आने वाले दिनों में बकाया नहीं चुकाने वालों के अच्छे दिन हवा होते भी देर नहीं लगेगी।

 वैसे बजट भाषण में राज्य में विभिन्न क्षेत्रों में विकास की कई घोषणाएं की गई है लेकिन देखने में ये आया कि इसी तरह की कई घोषणाएं पिछले बजट में भी की गई थी। उनमें से कितनी पूरी हुई या उनके बारे में अब वस्तुस्थिति क्या है इसका अंदाजा बजट भाषण से तो नहीं होता। इससे यह आशा ही की जा सकती है कि सरकार इस बार की गई घोषणाओं को तहे दिल से पूरा करेगी और उससे आम जन के जीवन में सुधार आएगा। अब जरा राजस्थान के अगले वर्ष के बजट प्रस्तावों को एक नजर देख लिया जाए।

 मौटे तौर पर राज्य सरकार की अगले वर्ष की राजस्व प्राप्तियां एक लाख 30 हजार 162 करोड़ 7 लाख रुपए होने का अनुमान लगाया गया है। इसके पेटे करीब एक लाख 43 हजार 690 करोड़ 10 लाख रुपए का व्यय होने का अनुमान लगाया गया है। जिसके कारण राजस्व घाटा करीब 13 हजार 528 करोड़ 3 लाख रुपए का होगा । मजे की बात ये है कि सरकार ने पूंजीगत प्राप्तियों के 51 हजार 653 करोड़ 64 लाख रुपए होने का अनुमान लगाया है, पूंजीगत खर्च 38 हजार 63 करोड़ 80 लाख रु पए का होने ही अनुमान लगाया गया हैं।

 इस हिसाब से पूंजीगत खाते में सरकार के पास 13 हजार 589 करोड़ 84 लाख रुपए होने का अनुमान है जो करीब करीब राजस्व घाटे के ही बराबार है। जाहिर है सरकार पूंजीगत खाते में और व्यय ऐसी योजनाओं में कर सकती थी जो बाद में सरकार की आय बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी लेकिन न जाने क्यों यह कोताही की गई है। जबकि वर्ष 2015-16 का जब मुख्यमंत्री ने बजट प्रस्ताव पेश किए थे तो पूंजी खाते में भी 382 करोड़ 51 लाख रुपए का घाटा दर्शाया गया था ।

 लेकिन वर्ष 2016-17 में 8 हजार 881 करोड़ 1 लाख रुपए का आधिक्य पूंजीगत खाते में दिखाया गया था और इस बार ये बढ़ कर 13 हजार करोड़ से अधिक हो गया है। क्या इससे ऐसा नहीं लगता कि पूंजीगत विकास कार्यों की योजनाओं पर खर्च में रुझान कम हो रहा है । 



 

यहां क्लिक करें : हर पल अपडेट रहने के लिए डाउनलोड करें, समाचार जगत मोबाइल एप। हिन्दी चटपटी एवं रोचक खबरों से जुड़े और अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें!

loading...
रिलेटेड न्यूज़
ताज़ा खबर

Copyright @ 2024 Samachar Jagat, Jaipur. All Right Reserved.