कानून के हाथ

Samachar Jagat | Wednesday, 16 Nov 2016 03:58:57 PM
Arm of the law

अक्सर ऐसे मामले सामने आते रहे हैं जिनमें किसी भारतीय नागरिक ने किसी दूसरे देश के कानूनों के खिलाफ जाकर कोई काम किया। हत्या, चोरी या वित्तीय जालसाजी की, और वहां से भाग कर भारत आ गया। संबंधित देश से प्रत्यर्पण संधि न होने या संधि में आरोपियों या दोषियों की अदला-बदली के प्रावधान न होने और भारतीय एजेंसियों को भारतीय कानूनों के तहत उनके खिलाफ जांच और उन पर अभियोजन चलाने का अधिकार न होने के कारण वे भगोड़े अपराधी होने के बावजूद बड़े आराम से यहां छुट्टा घूमते रहते हैं।

 अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी कई देशों ने अक्सर ऐसे सवाल उठाए हैं कि उनके सीमा-क्षेत्र में किसी व्यक्ति ने कोई अपराध किया और इसलिए सजा से बच गया कि वह वहां से भाग कर भारत चला गया। दरअसल, प्रत्यर्पण संधि की सीमाओं के चलते मुकदमे का सामना करने के लिए आरोपी को उस देश में नहीं भेजा सकता, जहां अपराध को अंजाम दिया गया। यही नहीं, ऐसे लोगों पर भारत में भी मुकदमा चलाना लगभग असंभव था, क्योंकि वे अपराध भारत की सीमा से बाहर अंजाम दिए गए।

 निश्चित रूप से यह एक विचित्र स्थिति है कि किसी अपराधी को उसके किए की सजा सिर्फ इसलिए न मिल पाए कि संबंधित देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि न होने या संधि में दर्ज प्रावधानों के मुताबिक उसे कार्रवाई के दायरे से बाहर मान लिया जाता है। इसलिए अब केंद्र सरकार ने ऐसे अपराधियों की जांच और उन पर मुकदमा चलाने के लिए सीबीआई को नए अधिकारों से लैस किया है। 

सूचना मिलने पर सीबीआई ऐसे लोगों पर लगे आरोपों की जांच और कानूनी प्रावधानों के अनुसार इन्हें सजा दिलाने के लिए मुकदमा कर सकती है। फिलहाल दुनिया के सिर्फ उनतालीस देशों के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि है। इनमें से इक्कीस देश ऐसे हैं जो अपने नागरिकों को उन देशों में भेजे जाने पर रोक लगाते हैं, जहां अपराध हुआ है।

 अंतरराष्ट्रीय अपराधियों को पकडऩे के लिए इंटरपोल का सहारा लिया भी जाता है तो उसमें अक्सर प्रत्यर्पण शर्तें आड़े आ जाती हैं और अपराधियों को सजा दिलाना मुश्किल होता है। प्रत्यर्पण संधि की सीमा हो या फिर देश के भीतर कानूनी प्रावधानों की कमी के बावजूद ऐसा क्यों होना चाहिए कि अगर किसी व्यक्ति के बारे में स्पष्ट है

कि उसने दूसरे देश में कोई अपराध किया है, तो उसे उसकी सजा न मिले? ‘अपने नागरिक’ की गैरकानूनी गतिविधि या उसके अपराध को सिर्फ इसलिए माफ कर देने का क्या कोई उचित आधार हो सकता है कि वह अपराध अपने देश से बाहर हुआ? अगर कोई देश यह सवाल उठाता है कि उसके यहां जिस अपराध के लिए कोई भारतीय आरोपी हो, वह भारत में भी संज्ञेय अपराध माना जाए तो इसे अनुचित नहीं कहा जा सकता। 



 

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