शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं केंद्रीय विद्यालय

Samachar Jagat | Tuesday, 28 Feb 2017 05:21:53 PM
Are facing an acute shortage of teachers Central School

केंद्रीय विद्यालय इस समय शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं। हालात यह है कि औसतन हर स्कूल में दस शिक्षकों की कमी है। 10 हजार से ज्यादा शिक्षकों की कमी की वजह से छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहे असर को देखते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने इनकी नियुक्ति प्रक्रिया तेज कर दी है। देश भर के एक हजार से ज्यादा केंद्रीय विद्यालयों में 12 लाख से ज्यादा छात्रों की पढ़ाई की गुणवता इन दिनों काफी प्रभावित हो रही है।

 इन विद्यालयों में इस समय 10 हजार 285 पद खाली है। हाल के वर्षों में यह कमी सबसे अधिक है। वर्ष 2014 में केंद्रीय विद्यालयों में 4296 शिक्षकों की कमी थी। जबकि अगले वर्ष यह घटकर 2019 रह गई थी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय का कहना है कि इन पदों को जल्द से जल्द भरना सरकार को शीर्ष प्राथमिकता में है। इसके लिए प्रक्रिया काफी तेजी से चल रही है और जल्द ही इन पदों को पूरी तरह भर लिया जाएगा। 

साथ ही मंत्रालय का कहना है कि छात्रों की समस्या को देखते हुए इन पदों पर नियुक्ति होने तक कांट्रेक्ट पर भी शिक्षक रखे गए हैं। हालांकि मंत्रालय मानता है कि कांट्रेक्ट के शिक्षकों को लेकर कई तरह की समस्याएं आ रही है। साथ ही मंत्रालय का यह भी कहना है कि शिक्षकों की इस कमी की वजह नियुक्ति प्रक्रिया में आई बाधा है। 

ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर (टीजीटी) पदों पर नियुक्ति के लिए लिखित परीक्षा भी आयोजित की जा चुकी है, लेकिन इनके पर्चे लीक हो जाने की शिकायत पर इस परीक्षा को रद्द करना पड़ा था। ऐसे में रिक्त पदों की संख्या बढ़ गई। लेकिन नए सिरे से इन 6205 पदों के लिए प्रक्रिया बहुत जल्द ही पूरी करली जाएगी। करीब चार हजार अन्य पदों के लिए अलग से प्रक्रिया शुरू हो रही है। शिक्षकों की कमी के कारण केंद्रीय विद्यालय संगठन को इन दिनों छात्रों और अभिभावकों की काफी शिकायतें मिल रही है। 

खासकर विज्ञान, गणित और कंप्यूटर, विज्ञान जैसे विषयों में शिक्षकों की कमी से छात्र बहुत अधिक प्रभावित हो रही है। केंद्रीय विद्यालयों के अलावा भी शीर्ष संस्थानों में भी शिक्षकों की कमी चल रही है। भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जैसे शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों में भी अध्यापकों की कमी को लेकर संसदीय समिति ने गहरी चिंता जताई है। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अध्यापकों की कमी से शिक्षा की गुणवता काफी प्रभावित हो रही है। 

इसलिए इस पर सरकार को तत्काल ध्यान देना चाहिए। भाजपा सांसद सत्यनारायण जाटिया की अध्यक्षता वाली मानव संसाधन विकास मंत्रालय से संबद्ध संसदीय समिति ने कहा है कि सरकार इस कमी से दूर करने के लिए तुरंत कदम उठाए। इस मामले पर विचार कर रही समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इसी कमी के दो ही कारण हो सकते हैं। या तो नई प्रतिभाएं अध्यापन की ओर आकर्षित नहीं हो रही है या फिर सरकार की नियुक्ति प्रक्रिया काफी ढीली है। ये दोनों ही स्थिति चिंताजनक है।
 



 

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