इस किले की खामोशी में सिमटा है रोचक इतिहास! 

Samachar Jagat | Sunday, 04 Jun 2017 12:20:44 PM
In this silence of silence is interesting history!

इन्टरनेट डेस्क। वैसे तो राजस्थान में अनेकों किले है। लेकिन एक किला ऐसा है जिसके निर्माण की रोचक कहानी है। इस किले का निर्माण कार्य शुरू हुआ तो काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। तो राजा परेशान हो गया और उन्होंने एक संत को अपने अपनी परेशानी का कारण बताया।

संत ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से बलि दे तो इस किले का निर्माण पूर्ण हो सकता है। यह बात सुनकर राजा चिंतित हो गया। राजा की चिंता देखकर संत ने स्वयं को बलिदान के लिए प्रस्तुत किया। राजा ने उसको स्वीकार कर लिया। 

संत ने राजा से कहा कि जहां से वो चले और जहां वो रूके वहीं उसे मार दिया जाए और वहां देवी का मंदिर बनाया जाए। राजा ने संत के कहे अनुसार जहां पर उसका सिर गिरा वहां मुख्य द्वार हनुमान पोल और जहां पर उसका शरीर गिरा वहां दूसरा मुख्य द्वार है। इस किले का नाम राजा ने अपनी पत्नी के नाम पर कुम्भलगढ़ रखा गया।

कुम्भलगढ़ मेवाड़ साम्राज्य का सबसे महत्वपूर्ण दुर्गो में शुमार था। कुम्भलगढ़ दुर्ग की दीवार चीन की दीवार के बाद दुनिया की सबसे बड़ी दीवार  है। इस किले की दीवार की चौड़ाई इतनी है कि 10 घोड़े एक ही समय में उस पर दौड़ सकते हैं। 



 

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