हवा में तैयार हो रहा है आलू का उन्नत बीज

Samachar Jagat | Sunday, 19 Mar 2017 03:53:01 PM
Improved Seed of potato Getting ready in the air

जालंधर। पंजाब के कृषि विज्ञानी बिना मिट्टी के हवा में आलू बीज तैयार करने की एक ऐसी तकनीक पर प्रयोग कर रहे है जिससे 150 गुणा से अधिक बीज तैयार किया जा सकेगा। पंजाब बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ सतवीर भसह ने यहां बताया कि धोगड़ी स्थित ‘सेंटर आफ एक्सीलेंस फॉर पोटेटो’ एक ऐसी तकनीक पर काम कर रहा है जिससे अब बिना मिट्टी के हवा में ही आलू की उन्नत किस्म का बीज तैयार किया जा सकेगा।

सीआरपीआई द्वारा ईजाद ऐयरोपोनिक तकनीक से आलू के क्षेत्र में एक क्रांति आ जाएगी। इस तकनीक से एक ही पौधे से चार वर्षों में पारम्परिक बीज के 2250 टयुवर के मुकाबले दो लाख 64 हजार 500 टयुवर तैयार होंगे।

भूजल स्तर बढाने की राजस्थान की तकनीक अपना रहे हैं अफ्रीकी देश

सेंटर आफ एक्सीलेंस फार पोटेटो के परियोजना अधिकारी डॉ परमजीत सिंह की देखरेख में ऐयरोपोनिक तकनीक से आलू का बीज तैयार करने की योजना पर कार्य चल रहा है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक से धोगड़ी केन्द्र में कुफरी बादशाह, कुफरी पुखराज, कुपरी ज्योती, कुफरी ख्याती, कुफरी लोवकर, कुफरी चिपसोना, कुफरी हिमालनी तथ कुफरी अरूण किस्म का बीज तैयार हो रहा। यह बीज अगले दो वर्षों में किसानों के लिए उपलब्ध हो जाएगा। उन्होंने बताया कि आलू फसल की बिजाई से लेकर खुदाई तक ज्यादा से ज्यादा मशीनीकरण के इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया जाएगा जिसके लिए उक्त केन्द्र में डच तथा जापानी मशीनों को प्रायोगिक तौर पर इस्तेमाल भी किया गया है।

डॉ परमजीत सिंह ने बताया कि राज्य में उन्नत किस्म के आलू बीज की मांग के मुद्दे नजर उन्होंने हिमाचल प्रदेश में स्थित आईएचबीटी तथा जालंधर में सीपीआरएस बादशाहपुर में प्रशिक्षण प्राप्त किया है तथा व्यक्तिगत रूप से पेरिस, इंग्लैंड और फ्रांस में आलू बीज की प्रयोगशालाओं का दौरा करने के पश्चात ऐयरोपोनिक तकनीक को अपनाया है। इस तकनीक से एक ही पौधे से पारम्परिक तकनीक से तैयार होने वाले बीज की अपेक्षा 150 गुणा ज्यादा बीज तैयार होगा।

Google ने Minna Canth के 173वें जन्मदिवस पर उनके नाम किया अपना Doodle

उन्होने बताया कि ऐयरोपोनिक तकनीक से तैयार किए मिनी टयुवर पैदावार अनुसार जी-वन, जी-टू तथा जी-थ्री स्टेज वाले आलू बीज किसानों को बेचे जाएंगे। जिससे किसान अपने लिए गुणवत्ता युक्त बीज तैयार कर सकेंगे।

डॉ परमजीत सिंह ने बताया कि साल 2022 तक पंजाब के लगभग 59 हजार हैक्टेयर रकबे के लिए उन्नत किस्म का बीज उपलब्ध हो जाएगा। यह बीज ऐयरोपोनिक, टीशू क्लचर तथा सीपीआरआई द्वारा दिए जा रहे ब्रीडर बीज से तैयार किया जाएगा। अगर इसकी तुलना मौजूदा स्थिति से की जाए तो अभी फिलहाल केवल दो प्रतिशत रकबे में ही स्ट्रीफाईड क्वालिटी बीज तैयार किया जा रहा है।

डॉ परमजीत सिंह ने बताया कि धोगड़ी केन्द्र में किए जा रहे प्रयोगों के परिणाम किसानों तक पहुंचने से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। उन्होने बताया कि पंजाब में बीज आलू की क्वालिटी में सुधार होने से भारत के बांकि राज्यों को भी क्वालिटी बीज आलू का निर्यात किया जा सकेगा। केन्द्र में भविष्य में किसानों को आलू फसल की बिजाई से लेकिर खुदाई तथा रखरखाव तक गुड एग्रीक्लचर प्रोसीजर (जीएपी), मशीनीकरन तथा भण्डारण संबंधी प्रशिक्षण दिया जाएगा। पम तथा जपानी विशेषज्ञों की सिफारिशों अनुसार जापान की मशीनों के ट्रायल करने के लिए आलू की बिजाई कुछ रकबे में उनके कहे अनुसार की जा रही है। इसके अतिरिक्त सीपीआरआई तथा खेतीवाड़ी विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित किस्मों की प्रदर्शनी लगा कर किसानों को जानकारी दी जाएगी।

दो परमाणु रिएक्टरों को हुए ‘चेचक’ जांच में जुटे वैज्ञानिक

पंजाब आलू उत्पादन का सबसे बड़ा राज्य है। साल 2015-16 में 92359 हैक्टेयर में लगभग 2262404 मिट्रीक टन आलू का उत्पादन हुआ था। 2016-17 में यहां 97 हजार हैक्टेयर में आलू की फसल बोई जाएगी। पंजाब में सबसे ज्यादा आलू जालंधर में बीजा जाता है जबकि सबसे कम आलू पठानकोट में चार हैक्टेयर में बीजा जाता है। जालंधर में 20438 हैक्टेयर में आलू की फसल ली जाती है। जबकि अन्य जिलों में आलू अधीन होशियारपुर में 12612 हैक्टेयर, लुधियाना में 10016, कपूरथला में 9256, अमृतसर 6786, मोगा 6175, बठिंडा 5468, फतेहगढ़ साहिब 4483, पटियाला 4313, एसबीएस नगर 2415, तरनतारन 1785, बरनाला 1702, एसएएस नगर 1220, रोपड़ 863, गुरदासपुर 704, संगरूर 630, फिरोजपुर 516, फरीदकोट 205, मुक्तसर 178, मानसा 152 , फाजिलका 72 और पठानकोट में चार हैक्टेयर में आलू की फसल होती है।

डॉ परमजीत सिंह ने बताया कि राज्य में आलू अधीन कुल रकबे में सबसे ज्यादा पैदावार कुफरी पुखराज किस्म ही होती है जो लगभग 50 से 60 प्रतिशत रकबे में बोया जाता है। इसके पश्चात कुफरी ज्योती किस्म लगभग 30 फीसदी रकबा , बादशाह तथा चिपसोना तीन फीसदी, चंदरमुखी छह फीसदी तथा अन्य लगभग चार फीसदी रकबे में बोया जाता है।

जयपुर में हुए चुहिया के गर्भपात की रिसर्च अमेरिका के लिए बनी जिज्ञासा का विषय

आलू के भण्डारण के लिए राज्य में 562 शीतभण्डार है जिनकी संख्या और बढऩे की संभावना है। उन्होने बताया कि पंजाब को लगभग 9.70 लाख मिट्रीक टन आलू की जरूरत होती हैं जिसमें 3.88 लाख मिट्रीक टन बीज तथा 5.82 लाख मिट्रीक टन खाने वाला आलू शामिल है। बाकि बचे आलू में से लगभग 15.49 लाख मिट्रीक टन आलू दूसरे राज्यों को निर्यात किया जाता है जिसमें नौ लाख मिट्रीक टन बीज तथा 6.49 मिट्रीक टन खाने वाला आलू शामिल हैं। - एजेंसी



 

यहां क्लिक करें : हर पल अपडेट रहने के लिए डाउनलोड करें, समाचार जगत मोबाइल एप। हिन्दी चटपटी एवं रोचक खबरों से जुड़े और अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें!

loading...
रिलेटेड न्यूज़
ताज़ा खबर

Copyright @ 2024 Samachar Jagat, Jaipur. All Right Reserved.