महिलाओं को तलाक से बचाने के लिए यहां किया जाता है रेप

Samachar Jagat | Friday, 11 Nov 2016 01:33:36 PM
Divorce is here to save women from rape

तलाक से जुड़ा एक ऐसा मामला सामने आया है जिसके बारे में आप जानकर हैरान रह जाएंगे। यहां एक शख्स महिलाओं को तलाक से बचाने के लिए उनका रेप करता है। 42 वर्षीय एक महिला ने अपने पति के दोस्त पर रेप का आरोप लगाया। औरत ने पुलिस में जो शिकायत दर्ज करवाई उसमें लिखा है कि उसका पति एक प्रॉपर्टी डीलर है और जुए का आदी है। एक दिन जुए में अपनी पत्नी को हार आया। जिसके बाद उसके दोस्त ने पत्नी का रेप किया।

आरोपी से जब इस सदंर्भ में पूछा गया तो उसने अपना अपने बचाव करते हुए कहा, मैं तो औरत का ‘हलाला’ यानी ‘निकाह हलाला’ कर रहा था। 

शरिया के अनुसार अगर एक पुरुष ने औरत को तलाक दे दिया है, तो वो उसी औरत से दोबारा तब तक शादी नहीं कर सकता जबतक औरत किसी दूसरे मर्द से शादी कर तलाक न ले ले। औरत की दूसरी शादी को निकाह हलाला कहते हैं। लेकिन जितनी आसानी से उसने रेप को हलाला कह दिया उतनी आसानी से तो तलाक भी नहीं होता। भले ही तलाक, तलाक, तलाक बोलना हो।

क्या होता है ‘हलाला’ 
अगर निकाह के बाद जिंदगी में ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं कि साथ रहना मुश्किल हो तो आपसी सहमति से तलाक लिया जाता है। अगर शौहर बीवी को तलाक देता है तो यह तीन चरण में होता है। पहले तलाक के बाद बीवी इद्दत करती है। मतलब वो शौहर से सेक्स नहीं करती। दोनों के घर वाले सुलह कराने की कोशिश करते हैं। अगर इसके बाद भी बात नहीं बनी तो दूसरा तलाक दिया जाता है पर वह भी दोनो की सहमति से ही, दूसरे तलाक के बाद गवाह वकील या सोसाइटी के बुजुर्ग बीच बचाव करते हैं और जिसकी भी गलती हो मामले को सुलझाने की पूरी कोशिश करते हैं। अगर समझौता हो जाता है तो फिर से दोनो का निकाह होगा। वो भी पहले की तरह पूरी रशम से और अगर इस बार बात बिगड़ती है तो तीसरा तलाक दिया जाता है। इस तीन तलाक में करीब 3 महीने लग जाते हैं।

तलाक के बाद लडक़ी अपने मायके वापस आती है और इद्दत का तीन महीना दस दिन बिना किसी पर आदमी के सामने आए पूरा करती है। ताकि अगर वो गर्भ से है तो जिस्मानी तौर पर सोसाइटी के सामने आ जाए। जिससे उस औरत के ‘चरित्र’ पर कोई उंगली न उठा सके। उसके बच्चे को ‘नाजायज’ न कह सके। क्योंकि धर्म कोई भी हो, हमारे समाज में तो लडक़ी ही अपनी छाती से लेकर गर्भ तक परिवार की इज्जत की ठेकेदार होती है।

खैर. इद्दत का समय पूरा होने पर वो लडक़ी आजाद है। अब उसकी मर्जी है वो चाहे किसी से भी शादी करे। आमतौर पर ये सब इतनी नाराजगी के बाद होता है कि दोबारा से उस आदमी से शादी करने की गुंजाइश ही नहीं बचती।

लेकिन अगर मर्द अब फिर से अपनी बीवी को पाना चाहे तो तब तक नहीं पा सकता जबतक उस औरत ने फॉर्मल तरीके से दूसरे मर्द से शादी (सेक्स) न किया हो। और उसके बाद उससे तलाक ले लिया हो। बेसिकली हमारे समाज में औरत मर्द की प्रॉपर्टी होती है। इसलिए जरूरी है कि मर्द को उसे खोने का एहसास दिलाया जाए। इसलिए एक मर्द को सजा देने के लिए औरत का नए मर्द के साथ सेक्स करना जरूरी हो जाता है। यही होता है ‘हलाला’।

इस्लाम में क्या होता है ‘हलाला’
लेकिन इस्लाम में असल हलाला का मतलब ये होता है कि एक तलाकशुदा औरत अपनी आजाद मर्जी से किसी दूसरे मर्द से शादी करे। और इत्तिफाक से उनका भी निभा ना हो सके। और वो दूसरा शोहर भी उसे तलाक दे-दे, या मर जाए, तो ही वो औरत पहले मर्द से निकाह कर सकती है। असल ‘हलाला’ है।

याद रहे यह महज इत्तिफाक से हो तो जायज है। जानबूझ कर या प्लान बना कर किसी और मर्द से शादी करना और फिर उससे सिर्फ इस लिए तलाक लेना ताकि पहले शोहर से निकाह जायज हो सके, यह साजिश नाजायज है। लेकिन इसका ये पहलू भी है कि अगर मौलवी हलाला मान ले, तो समझे हलाला हो गया।

पर औरत के अधिकार?
अगर सिर्फ पत्नी तलाक चाहे तो उसे शौहर से तलाक मांगना होगा। क्योंकि वो खुद तलाक नहीं दे सकती. अगर शौहर तलाक मांगने के बावजूद भी तलाक नहीं देता तो बीवी शहर काजी (जज) के पास जाए और उससे शौहर से तलाक दिलवाने के लिए कहे। इस्लाम ने काजी को यह हक दे रखा है कि वो उनका रिश्ता खत्म करने का ऐलान कर दे, जिससे उनका तलाक हो जाएगा। इसे ही ‘खुला’ कहा जाता है।
 



 

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