हरिद्वार/ऋषिकेश। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि योग शरीर को चुस्त रखने तक सीमित नहीं है बल्कि योग से शान्ति, सांत्वना, संतोष और करुणा प्राप्त होती है।
मोदी ने परमार्थ निकेतन ऋषिकेश,आयुष मंत्रालय,उत्तराखण्ड पर्यटन विकास बोर्ड तथा गढ़वाल मण्डल विकास निगम द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 29 वें वार्षिक विश्वविख्यात अन्तरराष्ट्रीय योग महोत्सव के दूसरे दिन वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से लोगों से कहा कि योग व्यक्तियों को जोडऩे का विधान है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति से समष्ठि तक,मैं से हम तक,अहं से वयं तक का भाव विस्तार ही योग है। यह शक्ति आत्मा एवं मन की भावना तक की यात्रा है। योग को मात्र, शरीर को चुस्त रखने तक सीमित रखना उचित नहीं है।
मोदी ने महोत्सव में सभी संतों, आचार्यों एवं सभी योगाचार्यों को प्रणाम करते हुये कहा कि वह अन्तरराष्ट्रीय योग महोत्सव से जुडक़र प्रसन्नता महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऋषिकेश से बेहतर देश में कोई दूसरा स्थान अन्तरराष्ट्रीय योग महोत्सव के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि महान विचारक मैक्समूलर ने कहा था कि भारत ही ऐसा देश है, जहां सबसे ज्यादा मस्तिष्क का विकास हो सकता है और मानसिक समस्याओं का समाधान भी वहीं मिलता है। सबसे सफल व्यक्ति जिन्हें आत्म साक्षात्कार हुआ,वह भी सब भारत में ही सम्भव हो पाया।
उन्होंने कहा विश्व आज दो मुख्य समस्याओं का सामना कर रहा हैं आंतकवाद एवं जलवायु परिवर्तन। इसके लिये दुनिया भारत की ओर तथा योग की ओर शाश्वत समाधान पाने के लिये देख रही है। उन्होंने पूज्य स्वामी के प्रयासों से निर्मित हिन्दू धर्म विश्वकोश को विश्व की अमूल्य धरोहर और विश्व की बड़ी उपलब्धि बताया और कहा जब इसका अनुवाद विश्व की दूसरी भाषाओं में होगा तो देश में जागरूकता का व्यापक प्रसार होगा। संस्कृति के प्रति समझ और सहयोग बढ़ेगा।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के निर्देशन एवं संरक्षण में परमार्थ निकेतन द्वारा किये जा रहे स्वच्छता, जल एवं नदी संरक्षण तथा हरितिमा संवर्धन को कार्यों की भी उन्होंने प्रशंसा की और कहा कि सारी दुनिया के लोगों को योग से जोडऩे का कार्य भी परमार्थ निकेतन ने किया है। -(एजेंसी)