नई दिल्ली। AIADMK पर अधिकार और जयललिता के राजनीतिक उत्तराधिकार को लेकर चुनाव आयोग बुधवार को अहम सुनवाई करेगा। इसके तहत आयोग ये तय करेगा कि शशिकला को पार्टी महासचिव बनाने का फैसला सही तरीके से हुआ है या नहीं, साथ ही ये भी तय होगा कि पार्टी के दो पत्तियों वाले चुनाव चिन्ह का वास्तविक हकदार कौन है।
शशिकला के पार्टी महासचिव बनने के बाद ओ पन्नीरसेल्वम ने शशिकला नटराजन के खिलाफ विद्रोह कर दिया था और खुद सीएम बनने की राह पर थे। दोनों में पार्टी चुनाव चिन्ह को लेकर भी मतभेद है। आयोग ये तय करेगा कि पार्टी चुनाव चिन्ह ओ पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) के नेतृत्व को मिलना चाहिए या फिर शशिकला को मिलेगा।
इसके लिए शशिकला के गुट का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील मोहन परसराम करेंगे उनके साथ मंत्री सी.वी. शानमगम, थांगमनी तथा सुंदरम होंगे। वैसे, अगर आयोग ने पार्टी संविधान के हिसाब से फैसला किया तो शशिकला से AIADMK की कमान छिन भी सकती है।
इस मामले में नाटकीय मोड़ तब आया जब पार्टी अध्यक्ष मधुसूदन ने ओ पनीरसेल्वम(ओपीएस) का साथ दिया और आरोप लगाया कि पार्टी की महासचिव के रूप में शशिकला की नियुक्ति पार्टी के नियमों के खिलाफ थी। एक अंग्रेजी वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक आयोग की एक बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है और यह 23 मार्च से पहले अपना फैसला सुना सकती है।
क्योंकि जयललिता के निधन से खाली हुई तमिलनाडु की आरके नगर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की ये आखिरी तारीख है। और इसके अगले ही दिन 24 मार्च को नामांकन दाखिल करने वाले प्रत्याशियों को अपनी पार्टी का चुनाव चिन्ह जमा कराना होगा, यह बताने के लिए कि वे किस दल से उम्मीदवार बनाए गए हैं।