यूपी ने देरी के आरोप नकारे, कहा- तुरंत दर्ज की गई थी प्राथमिकी

Samachar Jagat | Tuesday, 15 Nov 2016 04:04:44 AM
UP dishonored late charges, said the FIR was lodged immediately

नई दिल्ली। बुलंदशहर सामूहिक दुष्कर्म कांड में उत्तर प्रदेश सरकार और यूपी पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में देरी के आरोप नकारते हुए कहा है कि सूचना मिलते ही तुरंत प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्यवाही शुरू की गई। प्रदेश सरकार और पुलिस ने ये बात सुप्रीमकोर्ट में दाखिल अपने जवाबी हलफनामे में कही है।
मामले पर 17 नवंबर को सुनवाई होगी। पीडि़त परिवार ने वकील किसलय पांडेय के जरिये सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल कर पुलिस पर तत्काल कार्रवाई न करने और 100 नंबर पर कोई भी जवाब न देने का आरोप लगाया है।
साथ ही कैबिनेट मंत्री आजम खान पर अपराध के संबंध में आपत्तिजनक बयान देने का आरोप लगाते हुए सुनवाई प्रदेश से बाहर स्थानांतरित करने की मांग की है। कोर्ट ने याचिका पर सरकार और आजम खान को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
सरकार ने इसी पर जवाब दाखिल किया है। हालांकि आजम खान ने अभी तक कोई हलफनामा दाखिल नहीं किया है। उनके जवाब न देने पर पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी।
दाखिल हलफनामें में पुलिस पर लगाए गए आरोपों से इन्कार करते हुए कहा गया है कि घटना दुर्भाग्यपूर्ण है और इसे रोकने में नाकाम रहे संबंधित पुलिसकर्मियों और अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है।
इसके अलावा 100 नंबर पर फोन का जवाब न दिये जाने के मामले में जिम्मेदार तत्कालीन इंस्पेक्टर अनिल कुमार मिश्रा जो कि कंट्रोल रूम के इंचार्ज थे और सिपाही नवीन कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया। फिलहाल उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई चल रही है।
पुलिस ने ये तो माना है कि घटना जिस जगह की है हाईवे संख्या 91 के उस क्षेत्र में लाइट के पर्याप्त इंतजाम नहीं है लेकिन इस बात से इन्कार किया है कि वहां कोई पुलिस पिकेट या पैट्रोलिंग नहीं होती। पुलिस का कहना है कि वह क्षेत्र पुलिस कोतवाली देहात के अधीन आता है।
यहां शाम 8 बजे से सुबह 8 बजे तक के लिए स्थाई पुलिस पिकेट तैनात रहती है। इसके अलावा अदौली बाईपास और थांडी पायो पर दो पुलिस पैट्रोल कार रहती हैं रात मे दो अतिरिक्त पैट्रोल कार चलती हैं। 17 मोटर साइकिलों से भी पैट्रोलिंग होती है।
पुलिस ने कहा है कि हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है और फिलहाल सुप्रीमकोर्ट ने जांच पर रोक लगा रखी है। केस उत्तर प्रदेश से बाहर स्थानांतरण पर कहा है कि ऐसा करने का कोई उचित कारण और आधार नहीं है।
हलफनामे में पुलिस ने घटना के प्रति अपनी सफाई जरूर दी है लेकिन सुप्रीमकोर्ट पुलिस कार्रवाई के अलावा राज्य के मंत्री द्वारा घटना के बारे में बयान दिये जाने के परिणाम और कार्रवाई पर भी विचार कर रहा है।
कोर्ट ने इस पर विचार के लिए चार कानूनी प्रश्न तय करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता फली नारिमन को न्यायमित्र नियुक्त किया है। नारिमन ने इस मसले पर कोर्ट में अपना लिखित नोट भी दाखिल कर दिया है।



 

यहां क्लिक करें : हर पल अपडेट रहने के लिए डाउनलोड करें, समाचार जगत मोबाइल एप। हिन्दी चटपटी एवं रोचक खबरों से जुड़े और अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें!

loading...
ताज़ा खबर

Copyright @ 2024 Samachar Jagat, Jaipur. All Right Reserved.