नई दिल्ली। पानी के प्रति जागरूकता बढ़ाने, नदियों के बहाव की निगरानी करने और पानी को प्रदूषण से बचाने के लिए सरकार ने महत्वकांक्षी ‘जल क्रांति अभियान’ योजना के तहत अब 726 जल की कमी वाले गांव की ‘जल ग्राम’ के तौर पर पहचान की है । प्रत्येक गांव को ‘इंडेक्स वैल्यू’ प्रदान की जायेगी जो जल की मांग और उपलब्धता के बीच अंतर के आधार पर तैयार होगी।
जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि हर जिले में पानी की अत्यधिक कमी वाले 2 गांव को ‘जल ग्राम’ का नाम दिया जा रहा है । इस योजना के तहत 828 गांव की पहचान करने का लक्ष्य है और अब तक 726 गांव की पहचान कर ली गई है। 180 गांव के लिए समेकित जल सुरक्षा योजना तैयार की गई है और 61 योजनाओं को मंजूरी प्रदान की गई है।
जल ग्राम योजना के तहत जल ग्राम का चयन इसके कार्यान्वयन के लिए गठित जिला स्तरीय समिति द्वारा किया जाएगा। प्रत्येक गांव को एक इंडेक्स वैल्यू प्रदान की जाएगी जो जल की मांग और उपलब्धता के बीच अंतर के आधार पर तैयार होगा और सबसे अधिक इंडेक्स वैल्यू वाले गांव को जल क्रांति अभियान कार्यक्रम में मिल किया जाएगा।
अधिकारी ने बताया कि इस योजना के तहत स्थानीय जल पेेवरों को जल संबंधी मुद्दों के संबंध में जन जागरूकता फैलाने तथा जल से जुड़ी समस्याओं के निराकर के लिए उपयुक्त प्रशिक्षण देकर उन्हें ‘जल मित्र’ बनाने की पहल आगे बढ़ाई जा रही है।
इसके तहत संबंधित महिला पंचायत सदस्यों को जल मित्र बनने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है प्रत्येक जल ग्राम में ‘सुजलम कार्ड’ के रूप में एक जल स्वास्थ्य कार्ड तैयार किया जा रहा है जो गांव के लिए उपलब्ध पेयजल स्रोतों की गुवत्ता के बारे में वार्षिक सूचना प्रदान करेगा।
इस पहल से मंत्रालय को प्रत्येक जल ग्राम के लिए ब्लाक स्तरीय समितियों द्वारा गांव में जल के स्रोत, मात्रा एवं गुवत्ता के उपलब्ध आंकड़ों एवं अनुमानित आवश्यकताओं के आधार पर एकीकृत विकास योजना तैयार करने में मदद मिलेगी ।
सरकार का मानना है कि तेजी से बढ़ती जनसंख्या तथा तीव्र विकास करने वाले देश की बढ़ती जरूरतों के साथ जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रतिकूल प्रभाव के मद्देनजर जल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता प्रति वर्ष कम होती जा रही है।
जल की तेजी से बढ़ती मांग को देखते हुए अगर समय रहते इसका समाधान नहीं निकाला गया तो जल के विभिन्न प्रयोक्ताओं एवं जल बेसिन राज्यों के बीच जल के लिए विवाद उत्पन्न हो जायेगा। ऐसे में दे में एक समग्र, एकीकृत दृष्टि को अपनाते हुए जल संरक्ष, जल उपयोग दक्षता तथा जल उपयोग प्रबंधन क्रियाकलापों को बढ़ावा देने एवं सुदृढ़ बनाने की जरूरत है।
जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्ष मंत्री उमा भारती ने जून 2015 में इसकी शुरूआत 3 क्षेत्रों- राजस्थान के जयपुर, उत्तरप्रदे के झांसी और हिमाचल प्रदेश के मिला से की थी। इस योजना के तहत वर्तमान एवं बंद हो चुके जल निकायों की मरम्मत, निर्मा एवं पुनरूद्धार का काम करने की पहल की जा रही है।
इसके तहत वर्षा जल का संचय, अपष्टि जल का पुनचक्र, किसान की सक्रिय भागीदारी के लिए जन जागृति, सूक्ष्म सिंचाई, समुदाय आधारित जल निगरानी जैसे कार्य शामिल हैं। जल क्रांति अभियान के तहत लोगों तक जानकारी पहुंचाने के लिए फेसबुक, ट्वीटर एकाउंट बनाकर इसके बारे लगातार अपडेट करने की पहल भी किए जाने की बात कही गई ।