नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मंत्री आजम खान से कहा कि वह बुलंदशहर सामूहिक बलात्कार मामले पर अपनी कथित टिप्पणियों के लिए बिना शर्त माफी मांगें। कोर्ट इस मामले में की अगली सुनवाई सात दिसंबर को करेगा।
जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने बलात्कार और छेड़छाड़ जैसे मामलों में सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों के बयानों से निपटने में अटॉर्नी जनरल की मदद मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह सामूहिक बलात्कार की पीडि़ता का किसी नजदीक के केंद्रीय विद्यालय में दाखिला सुनिश्चित करें। इतना ही नहीं पीडि़ता के दाखिले और शिक्षा पर आने वाला खर्च उत्तर प्रदेश सरकार वहन करेगी।
इससे पहले 27 सितंबर को सीबीआई ने कोर्ट को बताया था कि आजम खान को नोटिस तामील नहीं किया जा सका। सीबीआई की ओर से एएसजी मभनदर भसह ने कहा कि आजम खान उत्तर प्रदेश सरकार का हिस्सा हैं, इसलिए राज्य सरकार को नोटिस तामील करने के लिए कहा जाए।
वहीं यूपी सरकार ने बताया कि उसकी ओर से खान को नोटिस तामील नहीं किया गया है। मालूम हो कि गत 29 अगस्त को बुलंदशहर गैंगरेप को ‘राजनीति षडयंत्र’ बताने वाले आजम खान के बयान को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने यह परीक्षण करने का निर्णय लिया है कि क्या सत्ता में बैठे व्यक्ति का ऐसा कोई बयान, जिससे पीडि़त पक्ष का सरकार से विश्वास डगमगा सकता है क्या उस पर मुकदमा चलना चाहिए या नहीं? शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह इस बात का परीक्षण करेगी की क्या ऐसा बयान देने एवं अभिव्यक्ति के अधिकार के दायरे से इतर तो नहीं है?
गौरतलब है कि कि गत 29 जुलाई को एक परिवार कार से नोएडा से शाहजहांपुर जा रहा था। रात करीब डेढ़ बजे बुलंदशहर के पास राष्ट्रीय राजमार्ग पर लुटेरों ने कार को रुकवाया और बंदूक की नोंक पर न केवल उनके नगदी और जेवर लूट लिए बल्कि 32 वर्षीय महिला और उसकी नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार भी किया।