एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को आतंकी संगठन आईएसआईएस के दो सदस्यों द्वारा गुनाह कबूल करने के बाद उन्हें सात सात साल के कारावास की सजा सुनाई।
अदालत ने कहा कि नरमी दिखाने की जरूरत है क्योंकि उन्हें खुद को सुधारने और अच्छा नागरिक बनने का अवसर मिलना चाहिए।
जिला न्यायाधीश अमर नाथ ने जम्मू कश्मीर के रहने वाले अजहर उल इस्लाम(24) और महाराष्ट्र के निवासी मोहम्मद फरहान शेख(25) को सजा सुनाई।
इन दोनों ने आतंकी संगठन आईएसआईएस के लिए लोगों की भर्ती करने और कोष जुटाने की आपराधिक साजिश रचने का गुनाह कबूल कर लिया जिसके बाद इन्हें सजा सुनाई गई।
न्यायाधीश ने कहा, ''ऐसा लगता है कि उन्हें अपनी गलतियों का एहसास है और वे अपने कृत्यों के लिए पछतावे के इच्छुक हैं।"
न्यायाधीश ने कहा, ''निस्संदेह, वे आतंकी संगठन के सदस्य थे और उन्होंने खुद को उनकी गतिविधियों से जोड़ा। यह उनकी अज्ञानता हो सकती है, चाहे गलत दिशा दिखाए जाने के कारण या मन और परिस्थितियों की परिपक्वता की कमी के कारण।"
जज ने कहा कि अदालत को उनके गुनाह कबूल करने के कदम के सकारात्मक पहलुओं पर भी गौर करना चाहिए। ऐसा लगता है कि दोषियों को अपनी गलती का एहसास है और वे अपने कृत्यों के लिए पछतावे के इच्छुक हैं।