नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने आज कहा कि न्यायपालिका के पास यह निगरानी का अधिकार है कि लोकतंत्र का कोई भी अंग लक्ष्मण रेखा पार न करे।
न्यायमूर्ति ठाकुर का यह बयान संविधान दिवस के अवसर पर न्यायालय परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में उस वक्त आया जब केंद्र सरकार के सर्वोच्च विधि अधिकारी एटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने न्यायपालिका को लक्ष्मण रेखा की याद दिलायी।
रोहतगी ने एक अन्य कार्यक्रम में विभिन्न अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति मामले में केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किये जाने के बाद न्यायालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम में न्यायपालिका को लक्ष्मण रेखा की याद दिलाई थी।
मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र पर पलटवार करते हुए कहा कि सरकार के किसी भी अंग को लक्ष्मण रेखा पार नहीं करनी चाहिए और न्यायपालिका के पास यह निगरानी करने का अधिकार है कि कोई भी संस्था सीमा को पार न करे।
हालांकि उम्मीद के विपरीत शाम को दिल्ली कैंट के मानेकशॉ सेंटर में आयोजित तीसरे कार्यक्रम में यह तकरार आगे नहीं बढ़ी और मुख्य न्यायाधीश ने विधि दिवस को संविधान दिवस के रूप में मनाने के केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि वैसे तो दुनिया में कई लोकतांत्रिक देश हैं, लेकिन भारत में संविधान दिवस का अपना महत्व है, क्योंकि इस पवित्र ग्रंथ के जरिये भारत एक संप्रभु राष्ट्र बन सका।
न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि इस ऐतिहासिक दस्तावेज ने 500 से अधिक रजवाड़ों को एक सूत्र में पिरोया, भिन्न जाति, भाषा और नस्ल के लोगों को समानता का अधिकार दिया। उन्होंने संविधान में वर्णित प्रावधानों की व्याख्या में देश के कानूनविदों की भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, संविधान की व्याख्या केवल न्यायाधीशों ने नहीं की है, बल्कि इसमें कानूनविदों और विधि विशेषज्ञों की अहम भूमिका रही है।
इस अवसर पर कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने राष्ट्र निर्माण में हिस्सा लेने वाले सपूतों को उनका वाजिब सम्मान में देरी किये जाने पर सवाल भी खड़े किये। उन्होंने पूछा कि बाबा साहेब अम्बेडकर और सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे सपूतों के मरने के सालों बाद भारत रत्न से सम्मानित किया जाना अनेक सवाल खड़े करते हैं।
इससे पहले दिन में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के वार्षिक सम्मेलन में न्यायमूर्ति ठाकुर और प्रसाद उस वक्त आमने-सामने आ गये थे, जब मुख्य न्यायाधीश ने न्यायाधीशों की भर्ती में केंद्र सरकार के उदासीन रवैये का उल्लेख किया।
इस अवसर पर उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एम एन वेंकटचलैया ने व्याख्यान दिया।