नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के कोलेजियम ने राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर किसी न्यायाधीश की नियुक्ति की इसकी सिफारिश खारिज करने के कार्यपालिका के अधिकार के प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, क्योंकि सरकार ने खारिज करने के कारणों को लिखित में देने से मना कर दिया।
समझा जाता है कि प्रस्तावित प्रक्रिया संहिता एमओपी में राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रावधान को स्वीकार करने के लिए सरकार ने भारत के प्रधान न्यायाधीश सीजेआई के साथ कई दौर की चर्चा की, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया क्योंकि सरकार ने संभवत इस बात पर जोर दिया कि यदि किसी उम्मीदवार का नाम राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर खारिज किया जाता है तो वह कुछ भी लिखित में नहीं देगी।
सूत्रों ने बताया कि सरकार संबंधित उम्मीदवार से जुड़ी खुफिया रिपोर्ट शीर्ष न्यायालय के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों के कोलेजियम से साझा करने की बजाय सिर्फ सीजेआई से साझा करने के लिए तैयार है। दूसरी ओर, कोलेजियम का मानना है कि यदि सरकार ने लिखित में तर्क दिए तो स्वतंत्र सूत्रों से आरोपों को सत्यापित किया जा सकता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा और जनहित के प्रावधानों को स्वीकार करने के लिए कोलेजियम को मनाने की कोशिश करते हुए सरकार ने कहा था कि अब तक उसने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर कोई सिफारिश नहीं खारिज की। सरकार ने कोलेजियम से कहा था कि भविष्य में भी इस प्रावधान का इस्तेमाल कभी-कभार ही किया जाएगा।
लेकिन चूंकि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर किसी सिफारिश को खारिज करने की वजह लिखित में देने को तैयार नहीं थी, इसलिए कोलेजियम ने इसे खारिज कर दिया।
सीजेआई की अध्यक्षता वाले कोलेजियम ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा एवं जनहित के आधार पर कोई ऐतराज हो तो वह कोलेजियम को यह बात बता सकती है ।
सूत्रों ने बताया कि इसके बाद कोलेजियम अंतिम फैसला करेगा। पिछले साल जनवरी से ही सरकार और शीर्ष न्यायालय एमओपी को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रही है । एमओपी उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति निर्देशित करने का दस्तावेज है ।