दिल्ली बनी गैस चैंबर, केजरीवाल ने केन्द्र से मदद मांगी

Samachar Jagat | Saturday, 05 Nov 2016 10:28:39 PM
The gas chamber in Delhi, Kejriwal sought help from the Centre

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में कई जगहों पर प्रदूषण का स्तर सुरक्षित सीमा से 17 गुना अधिक होने से शहर पर धुंध की एक काली चादर छाने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को एक ‘गैस चैंबर’ बताया और केन्द्र से हस्तक्षेप की मांग की। 
केजरीवाल ने इस स्थिति को देखते हुए लोगों से निजी वाहनों का इस्तेमाल कम करने और सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं की ओर रख करने की अपील की।
प्रदूषण का स्तर दिवाली के बाद के स्तरों को भी लांघ गया, जबकि दृश्यता का स्तर पूरे शहर में घटकर करीब 200 मीटर रह गया। निगरानी एजेंसियों ने ‘गंभीर’ गुणवत्ता की वायु दर्ज की और लोगों को बाहर जाने से परहेज करने की सलाह दी।
केजरीवाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि यह धुंध पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में खेतों में खूंट जलाए जाने की वजह से बनी है। बाद में उन्होंने केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल दवे के आवास पर एक बैठक में उनके समक्ष इस मुद्दे को उठाया।
जहां श्वसन प्रदूषण पीएम 2.5 और पीएम 10 का चौबीस घंटे का औसत क्रमश 355 और 482 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा, मौके पर लिए गए आंकड़े भयावह रहे। उदाहरण के तौर पर आनंद विहार में दो बजे पीएम 10 का स्तर 1,711 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया जो सुरक्षित सीमा से करीब 17 गुना अधिक है।
इन अति सूक्ष्म कणों की सुरक्षित सीमा क्रमश 60 और 100 है। एनओ2 जैसी गैसीय प्रदूषकों के मौके पर लिए गए आंकड़ों के मुताबिक यह मानव श्वसन के लिए निर्धारित मानकों से कहीं अधिक रहे।
उप राज्यपाल नजीब जंग ने भी तत्काल, अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपायों पर चर्चा के लिए सोमवार को एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है जिसमें उन्होंने केजरीवाल, स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन, पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन, दिल्ली के मुख्य सचिव और पुलिस एवं नगर निकाय के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया है।
केजरीवाल ने कहा कि वाहनों पर पाबंदी जैसी सम-विषम योजना इस धुंध को कम करने में कारगर साबित नहीं होंगी क्योंकि अध्ययनों से पता चला है कि पंजाब और हरियाणा से प्रदूषण युक्त धुंध के ‘व्यापक स्तर’ ने स्थिति को बद से बदतर बना दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ प्रदूषण इस हद तक बढ़ गया है कि दिल्ली में वातावरण एक गैस चैंबर जैसा हो गया है। प्रथम दृष्टया इसका सबसे बड़ा कारण हरियाणा और पंजाब के खेतों में भारी मात्रा में खूंटी को जलाना प्रतीत होता है।’’
प्रदूषण के चलते नगर निगमों द्वारा संचालित स्कूलों को एक दिन के लिए बंद करने के निर्णय के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि लंबे समय तक स्कूलों को बंद रखना एक व्यवहारिक समाधान नहीं है।
केन्द्र के सफर के सभी आठ निगरानी स्टेशनों की वायु गुणवत्ता सूचकांक एक्यूआई में लाल बत्ती जल रही है जिससे प्रदूषण के जबरदस्त स्तर का संकेत मिलता है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल कहा था कि दिल्ली में रहना एक ‘गैस चैंबर’ में रहने जैसा है। न्यायालय ने केन्द्र और दिल्ली सरकार को इससे निपटने के लिए व्यापक कार्य योजनाएं पेश करने का निर्देश दिया था।
इस बीच, केजरीवाल ने किसानों को वैकल्पिक उपाय और प्रोत्साहन दिए जाने की वकालत की ताकि वे पारंपरिक व्यवस्था छोड़ दें। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के पास बहुत कम पद्धतियां हैं और केन्द्र को हस्तक्षेप करने की जरूरत है।
‘‘ केन्द्र इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठकर किसी समाधान की रूपरेखा तैयार कर सकता है। कुछ रपटों के मुताबिक जलाई जा रही खूंटी की मात्रा करीब 1.6 करोड़ टन से 2 करोड़ टन है।’’



 

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