नई दिल्ली। भारत सरकार ने ब्रिटेन की ब्रिटिश ब्राडकास्टिंग कॉर्पोरेशन पर असम में काजीरंगा के बाघ अभयारण पर बने वृत्तचित्र में गलत तथ्यों के कारण देश के किसी भी बाघ अभ्यारण में शूटिंग करने पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस बैन के तहत बीबीसी अगले पांच सालों तक भारत के किसी भी बाध अभ्यारण में शूटिंग नहीं कर सकेगा।
वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री अनिल माधव दवे ने मंगलवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार को बीबीसी के वृत्तचित्र की पूरी जानकारी है। इस फिल्म में आपराधिक दंड संहिता की धारा 197 के तहत वन कर्मियों को ‘शूट टू किल’ नीति के तहत दी गई छूट को गलत तरीके से पेश किया गया है।
दवे ने कहा कि फिल्मांकन के लिए फिल्म निर्माता के आवेदन में पेश फिल्म की विषय वस्तु और दिखाई गई फिल्म में बहुत फर्क है। फिल्म को दिखाने के पहले उसे समीक्षा के लिए प्राधिकृत समिति के समक्ष पेश नहीं किया गया जबकि शर्तों के अनुसार करना जरुरी था। उन्होंने कहा कि इस वजह से बीबीसी पर आगे से किसी भी बाघ अभ्यारण की शूटिंग करने पर पांच साल की रोक लगा दी गई है।
दवे ने बताया कि वन्य जीवों और वन क्षेत्रों की शूटिंग या जीवों के साथ किसी तरह के दुव्र्यवहार को रोकने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ओर से वन्य जीव संरक्षण कानून 1972 की विभिन्न धाराओं के तहत कुछ दिशा निर्देश पहले से ही जारी किए जा चुके हैं। इन दिशा निर्देर्शों के अनुसार किसी भी स्थिति में किसी सामान्य बाघिन या नवजात शावकों के साथ मौजूद बाघिन को फिल्म बनाने के लिए परेशान नहीं किया जा सकता।
सूर्यास्त के बाद वन्यजीवों की शूटिंग करने की अनुमति नहीं है। संरक्षित वन क्षेत्र में विमानों का प्रयोग वर्जित है। वन्य जीवों को कृत्रिम रूप से भोजन सामग्री नहीं दी जा सकती। किसी बाघ का फोटो उससे तीस मीटर की दूरी से ही लिया जा सकता है। वन्य क्षेत्र में किसी भी तरह की शूटिंग के लिए अधिकृत एजेंसियों की अनुमति अनिवार्य है।
वार्ता