वर्षो से भारत में रहकर अज्ञातवास झेल रहीं बांग्लादेश की लेखिका तसलीमा नसरीन ने पड़ोसी देशों को नसीहत दी है कि वह भारत से सीखें कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का कैसे सम्मान किया जाता है। उन्होंने यह भाव अपनी यादों पर आधारित पुस्तक 'एक्साइल' में व्यक्त किए हैं। यह उन पर पूर्व प्रकाशित पुस्तक 'निर्बासन' का अंग्रेजी अनुवाद है।
बांग्ला में यह पुस्तक महाराज्ञा चक्रवर्ती ने लिखी है और उसका प्रकाशन पेंगुइन रैंडम हाउस ने किया है। 'एक्साइल' में तसलीमा ने पश्चिम बंगाल से बाहर रहने के अपने सात महीने के अनुभवों के बारे में लिखा है। बताया है कि किस तरह से वह राजस्थान और भारत के अन्य भागों में सरकारी सुरक्षा वाले घरों में नजरबंदी के हालात में रहीं। तसलीमा को कट्टरपंथियों की धमकी के चलते बांग्लादेश से बाहर रहना पड़ रहा है।
तसलीमा के अनुसार भारत को छोड़ने के लिए आए कई दबावों के बावजूद वह यहां बनी हुई हैं। अकेली हैं और निर्वासित हैं। इसके बावजूद वह भारत में रहना चाहती हैं। क्योंकि यहां पर वो सब बोलने की आजादी है जो वह चाहती हैं। यहां पर रहकर वह सही मायनों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को महसूस कर पाईं। इससे पड़ोसी देशों को सबक लेना चाहिए।