जयपुर। तमिलनाडु की अम्मा अब इस दुनिया में नहीं रही है, अम्मा लोगों के दिलों पर एक छाप छोड़ गई। तमिलनाडु को अम्मा जैसा अब नहीं मिल पाएगा। अम्मा ही थी जो गरीबों को दुख-दर्द सुनती थी। अम्मा के लिए लाखों आंखें नम हो गई। अम्मा ही थी जो लोगों के आंसू पोछती थी। वाकए में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे.जयललिता का कार्यकाल उपलब्धियों भरा रहा है। अम्मा जैसा नेता तमिलनाडु को शायद ही मिल पाएगा। अम्मा ने 3 दशक से तमिलनाडु की जनता के दिलों पर राज किया है। 5 दिसंबर 2016 को अम्मा का निधन हो गया। निधन की खबर सुनते ही लाखों आंखें नम हो गई थी।
आइए जानते है जयललिता के जीवन के सफर की बातें
ये थी अम्मा की योजनाएं
6 बार तमिलनाडु की सीएम रहीं जयललिता ने राज्य के लिए कई सामाजिक क्षेत्र की योजनाएं शुरू की थीं। इसमें कन्या भ्रूण हत्या की परेशानी से निपटने के लिए ‘क्रैडल टू बेबी स्कीम’, बच्चियों को जन्म देने वाली महिलाओं को मुफ्त सोने का सिक्का देने जैसी योजनाएं प्रमुख हैं। उन्हें लोग प्रेम से ‘अम्मा’ कहकर पुकारते थे।
उन्होंने ‘अम्मा ब्रांड’ के तहत लगभग 18 लोक कल्याणकारी योजनाएं भी शुरू की। अम्मा के नाम की सभी योजनाएं या तो पूरी तरह मुफ्त थीं, या फिर उसपर भारी सब्सिडी दी जाती थी। इन योजनाओं में शहरी गरीबों के लिए मात्र 1 रुपए में भोजन उपलब्ध कराने के लिए ‘अम्मा कैंटीन’ प्रमुख थी।
इसी तरह गरीबों के लिए उन्होंने ‘अम्मा साल्ट’, ‘अम्मा वाटर’ और ‘अम्मा मेडिसीन’ योजनाएं भी शुरू की थीं। जयललिता ने राज्य में ऑटोमोबाइल और आईटी जैसे क्षेत्रों में विदेश से निवेश भी आकर्षित किया।
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खुशकिस्मत हैं तमिलनाडु, जो अम्मा जैसा आसरा मिला
तमिलनाडु की जनता धन्य हैं जो अम्मा जैसा उनको आसरा मिला। वाकए में अम्मा की जीतनी अच्छाई गिनाई जाएं उतनी कम हंै। गरीबों का मसीहा अम्मा, गरीबों का सहारा अम्मा, अम्मा ही हैं जो तमिलनाडु में पूरे जनाधार के साथ 6 बार मुख्यमंत्री रहीं। उनके निधन से पूरा तमिलनाडु शोक में डूबा हुआ है। गरीबों के लिए नई-नई योजनाएं लाकर गरीबी की रेखा को कम किया। भरपेट खाना सस्ती दरों पर मिला। जिससे जीवन जीने की राह आसान हो गई। इंसान को चाहिए क्या? दो टाइम की रोटी और शांति भरा जीवन व्यापन।
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बालिका शिक्षा पर जोर
साल 1992 में उनकी सरकार ने बालिकाओं की रक्षा के लिए क्रैडल बेबी स्कीम शुरू की ताकि अनाथ और बेसहारा बच्चियों को खुशहाल जीवन मिल सके। इसी वर्ष राज्य में ऐसे पुलिस थाने खोले गए जहां केवल महिलाएं ही तैनात होती थीं। 1996 में उनकी पार्टी चुनावों में हार गई और वे खुद भी चुनाव हार गईं। इस हार के बाद सरकार विरोधी जनभावना और उनके मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर हुये। पहली बार मुख्यमंत्री रहते हुए उन पर कई गंभीर आरोप लगे। उन्होंने कभी शादी नहीं की लेकिन अपने दत्तक पुत्र वीएन सुधाकरण की शादी पर पानी की तरह पैसे बहाए।
अम्मा का जीवन परिचय
जयललिता (अम्मा)का जन्म 24 फरवरी 1948 को एक अय्यर परिवार में, मैसूर राज्य (जो कि अब कर्नाटक का हिस्सा है) के मांडया जिले के पांडवपुरा तालुक के मेलुरकोट गांव में हुआ था। उनके दादा तत्कालीन मैसूर राज्य में एक सर्जन थे। महज दो वर्ष की उम्र में ही उनके पिता जयराम, उन्हें मां संध्या के साथ अकेला छोड़ कर चल बसे थे। पिता की मृत्यु के बाद उनकी मां उन्हें लेकर बंगलौर चली आईं, जहां उनके माता-पिता रहते थे। बाद में उनकी मां ने तमिल सिनेमा में काम करना शुरू कर दिया और अपना फिल्मी नाम संध्या रख लिया।
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यहां की शिक्षा ग्रहण
जयललिता की प्रारंभिक शिक्षा पहले बंगलौर और बाद में चेन्नई में हुई। चेन्नई के स्टेला मारिस कॉलेज में पढऩे की बजाय उन्होंने सरकारी वजीफे से आगे पढ़ाई की। जयललिता जब स्कूल में ही पढ़ रही थीं तभी उनकी मां ने उन्हें फिल्मों में काम करने के लिए राजी कर लिया। विद्यालई शिक्षा के दौरान ही उन्होंने 1961 में एपिसल नाम की एक अंग्रेजी फिल्म में काम किया। मात्र 15 वर्ष की आयु में वे कन्नड फिल्मों में मुख्य अभिनेत्री की भूमिकाएं करने लगी। कन्नड भाषा में उनकी पहली फिल्म चिन्नाडा गोम्बे है जो 1964 में प्रदर्शित हुई।