नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों से ‘रिवर्स मॉर्टगेज लोन इनेबल्ड एन्यूइटी स्कीम’ के तहत ऋण पाने में असफल रहे एक 79 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक की याचिका पर जवाब देने को कहा है।
‘रिवर्स मॉर्टगेज लोन इनेबल्ड एन्यूइटी स्कीम’ को 2008 में शुरू किया गया था ताकि वरिष्ठ नागरिकों की आय को उनके स्वामित्व वाली संपत्ति से बढ़ाया जा सके और वह स्वतंत्र तौर पर एक अच्छा जीवन व्यतीत कर सकें।
मुख्य न्यायाधीश टी. एस. ठाकुर एवं न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की एक खंडपीठ ने केंद्र सरकार, रिजर्व बैंक, केनरा बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को नोटिस जारी कर इस संबंध में जवाब दाखिल करने को कहा है।
न्यायालय ने इस योजना को धीमी गति से लागू किए जाने के बारे में सवाल किए हैं। यह नोटिस न्यायालय ने उत्तर प्रदेश निवासी एमपी सिंह की याचिका पर जारी किया है।
उन्होंने याचिका में कहा कि इस योजना के तहत वह 2014 से ऋण प्राप्त करने के लिए दो बैंकों से संपर्क कर चुके हैं लेकिन अभी तक इस संबंध में कुछ हुआ नहीं है। उनकी आय का मुख्य स्रोत खेती है और उनके पास कोई स्थायी वार्षिक आय नहीं है।