नई दिल्ली। बिहार के राजद के बाहुबलि नेता शहाबुद्दीन को सिवान जेल से दिल्ली के तिहाड़ जेल में ट्रांसफर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर बड़े सवाल उठाते हुए कहा कि क्या संविधान के दिए निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार को सिर्फ आरोपी तक सीमित रखना चाहिए? क्या इसे पीडि़त के अधिकारों से जोडक़र नहीं देखना चाहिए? क्योंकि निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगा तो पीडि़त को भी परेशानी होगी।
वहीं अगर कोई आरोपी बार-बार केस में सुनवाई को टालने की कोशिश करता है तो यह पीडि़त के लिए किसी सदमे से कम नहीं होता है। इधर, शहाबुद्दीन ने सुप्रीम कोर्ट में खुद को बेकसूर बताया और खुद पर चल रहे मुकदमे को राजनीति से प्रेरित बदले की भावना बताया।
जेल से शिफ्टिंग करने पर शहाबुद्दीन ने कहा अगर उनको तिहाड़ जेल भेजेंगे तो उनके अधिकारों का हनन होगा।
इसके साथ ही शहाबुद्दीन ने सीबीआई पर सवाल उठाते हुए कहा कि राजदेव रंजन हत्याकांड की जांच में क्या उन्हें आरोपी बनाया गया है? सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई आज फिर करेगा। शहाबुद्दीन ने कहा कि अगर सारे 45 केस सीबीआई को ट्रांसफर किए गए तो मामले की सुनवाई में और देरी होगी क्योंकि मामलों से सम्बंधित दस्तावेज जुटाने में दो साल लग जाएंगे।
गौरतलब है कि शहाबुद्दीन पर दो भाईयों को तेजाब से नहलाकर जान से मारने का आरोप है। मृतक भाईयों के पिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर शहाबुद्दीन को सिवान जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल शिफ्ट करने की गुहार लगाई है। पिता का आरोप है कि सिवान में रहकर शहाबुद्दीन सबूतों से छेड़छाड़ करवा सकता है।