महेन्द्र कुमार सैनी
आज डॉ.भीमराव अंबेडकर का जन्म दिन हैं। उनका जन्म 14 अप्रैल सन 1891 में मध्यप्रदेश के महू में हुआ था और उनके जन्मदिन के इस अवसर को इंडिया सहित पूरे विश्व में मनाया जाता है। आपको बता दें कि भारत के संविधान निर्माण में खास भूमिका निभाने वाले डॉ.भीमराव अंबेडकर का जन्म आज ही के दिन हुआ था। उन्हें बाबसाहेब के नाम से भी जाना जाता है।
ये हैं 126वी अंबेडकर की जयंती
बाबासाहेब की इस वर्ष 126वी जयंती मनाई जा रही है। अंबेडकर के जन्मदिन को लोग 14 अप्रैल के दिन एक उत्सव के रुप में मनाते हैं। 1891 में भारत की भूमि पर जन्में भीमराव अंबेडकर, भारत के लिए एक सौगात थे। पूरे भारत में वाराणसी, दिल्ली सहित दूसरे बड़े शहरों, जिलों और गांव सब जगह ही अंबेडकर जयंती बहुत धूम-धाम से जश्न के रूप में मनाई जाती है।
समानता दिवस और ज्ञान दिवस
उनका जन्मदिन, समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रुप में भी मनाया जाता है, क्योंकि भीमराव अंबेडकर ने अपनी पूरी जिंदगी समानता के लिए संघर्ष करने में बिता दी। भीमराव पूरे विश्व में उनके मानवाधिकार आंदोलन, संविधान निर्माण और उनकी विद्वता के लिए जाने जाते हैं और यह दिन उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है।
- भीमराव ने अस्पृश्य लोगों को बराबरी का अधिकार दिलाने के लिए महाराष्ट्र के महाड में सन 1927 में एक मार्च का नेत्रत्व किया था जिन्हें सार्वजनिक चॉदर झील के पानी को छूने या पीने की अनुमति नहीं थी।
- इन्होंने ही जाति विरोधी आंदोलन, पुजारी विरोधी आंदोलन और मंदिर में प्रवेश आंदोलन जैसे बहुत से सामाजिक आंदोलनों का नेतत्व किया था।
- अंबेडकर ने ही समाज में दलित वर्ग के हक के लिए सामाजिक क्रांति शुरु की थी। राष्ट्र के लिए किए गए अंबेडकर के योगदान को सन 1990 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
- 6 दिसंबर 1956 को हमारे देश ने तब एक अनमोल हीरा खो दिया जब डॉ अम्बेडकर ने अपनी अंतिम सांस ली। हमारा देश शायद ही कभी इस क्षति की पूर्ति कर सकेगा।
ऐसे हुई आरक्षण की शुरुआत
- चलो अब बात करते हैं कैसे आरक्षण की शुरूआत हुई। तो आपको बता दें कि आजादी के पहले प्रेसिडेंसी रीजन और रियासतों के एक बड़े हिस्से में पिछड़े वर्गों (बीसी) के लिए आरक्षण की शुरुआत हुई थी। महाराष्ट्र में कोल्हापुर के महाराजा छत्रपति साहूजी महाराज ने 1901 में पिछड़े वर्ग से गरीबी दूर करने और राज्य प्रशासन में उन्हें उनकी हिस्सेदारी (नौकरी) देने के लिए आरक्षण शुरू किया था। यह भारत में दलित वर्गों के कल्याण के लिए आरक्षण उपलब्ध कराने वाला पहला सरकारी आदेश है।
- वर्ष 1908 में अंग्रेजों ने प्रशासन में हिस्सेदारी के लिए आरक्षण शुरू किया।
- वर्ष 1921 में मद्रास प्रेसिडेंसी ने सरकारी आदेश जारी किया, जिसमें गैर-ब्राह्मण के लिए 44 प्रतिशत, ब्राह्मण, मुसलमान, भारतीय-एंग्लो/ईसाई के लिए 16-16 प्रतिशत तथा अनुसूचित जातियों के लिए 8 प्रतिशत आरक्षण दिया गया।
- वर्ष 1935 में भारत सरकार अधिनियम 1935 में सरकारी आरक्षण को सुनिश्चित किया गया।
- वर्ष 1942 में बाबा साहब अम्बेडकर ने सरकारी सेवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण की मांग उठाई।
आरक्षण से जुड़े कुछ अहम फैक्ट
- 15(4) और 16(4) के तहत अगर साबित हो जाता है कि किसी समाज या वर्ग का शैक्षणिक संस्थाओं तथा सरकारी सेवाओं में उनका पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है तो आरक्षण दिया जा सकता है।
-वर्ष 1930 में एचवी स्टोर कमेटी ने पिछड़े जातियों को 'दलित वर्ग', 'आदिवासी और पर्वतीय जनजाति' और 'अन्य पिछड़े वर्ग' (ओबीसी) में बांटा था।
- भारतीय अधिनियम 1935 के तहत 'दलित वर्ग' को अनुसूचित जाति तथा 'आदिम जनजाति' को पिछड़ी जनजाति नाम दिया गया।
आज आरक्षण देश की सबसे बड़ी त्रासदी
वैसे अगर बात की जाएं तो आरक्षण उन लोगों के लिए था, जो गरीब हैं, और उनकी माली हालात खराब हैं,उनके लिए आरक्षण था,लेकिन आज तस्वीर कुछ ओर ही हैं। आज आरक्षण देश की सबसे बड़ी त्रासदी है? अयोग्य व्यक्ति जब ऊँचे पदो पर पहुँच जाते है तो ना समाज का भला होता है और ना ही देश का?
और सही बात तो ये है कि आरक्षण जैसी चीजें मूल जरूरतमंदों के पास तक तो पहुंच ही नहीं पाती है? बस कुछ मलाई खाने वाले लोग इसका लाभ उठाते है? आरक्षण जैसी चीजें चाहे वो गरीबी उन्मूलन हो या सरकारी राशन कि दुकानें? सब जेब भरने का धंधा है और कुछ नहीं है ? वर्ष 1950 में संविधान लिखा गया और आज तक आरक्षण लागू है? बाबा साहब अंबेडकर ने भी इसे कुछ वक्त के लिए लागू किया था? अंबेडकर एक बुद्धिमान व्यक्ति थे?
वो जानते थे कि ये आरक्षण बाद में नासूर बन सकता है इसलिए उन्होंने इसे कुछ वर्षो के लिए लागू किया था जिससे कुछ पिछड़े हुए लोग समान धारा में आ सके! अंबेडकर ने ही इसे संविधान में हमेशा के लिए लागू क्यू नही किया? इसका जवाब तो हर किसी के पास अलग-अलग होगा परन्तु सत्य ये है कि जिस तरह से शराबी को शराब कि लत लग जाती है इसी तरह आरक्षण भोगियों को इसकी लत लग गईं है अब ये इसे चाह कर भी नही छोड़ सकते है?
वोटबैंक का जरिया बना आरक्षण?
आज देश की सबसे बड़ी समस्या यह भी हैं कि आरक्षण वोटबैंक का जरिया बनता जा रहा हैं। दलितों के समर्थन और दोनों राष्ट्रीय दलों भाजपा और कांग्रेस की पलटती किस्मत के बीच जो रिश्ता है, उसी ने देश के सबसे बड़े दलित नायक भीम राव आंबेडकर की विरासत को कब्जाने की होड़ को जन्म दिया है।
भाजपा जिस गंभीरता से दलित वोटों का पीछा कर रही है, वे बीते दशक के दौरान आंबेडकर पर पार्टी के यू-टर्न से साफ पता लगता है-अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में आला मंत्री रहे अरुण शौरी ने कभी उन्हें ''झूठे भगवान" की संज्ञा दी थी जबकि मोदी सरकार ने भारत के सामाजिक और राजनैतिक तानेबाने में आंबेडकर के योगदान का उत्सव मनाने के लिए सिलसिलेवार कार्यक्रमों की शुरुआत की है।
गत नवंबर में अपनी लंदन यात्रा के दौरान मोदी ने उस जगह पर एक स्मारक का अनावरण किया, जहां आंबेडकर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के दिनों में रहा करते थे। पीएम ने मुंबई में आंबेडकर स्मारक की भी आधारशिला रखी और 21 मार्च को दिल्ली के 25, अलीपुर रोड पर एक सभागार की नींव रखी, जहां आंबेडकर की मौत हुई थी।
उन्होंने भारतीय संविधान के जनक को उनके जन्मस्थल इंदौर के महू में भी श्रद्धांजलि दी थी। उस दिन को सामाजिक समरसता दिवस घोषित किया और संयुक्त राष्ट्र को आंबेडकर का 125वां जन्मदिवस मनाने को तैयार किया था।
एक सभ्य समाज के लिए ये हैं कलंक
चलो अब बात करते हैं आरक्षण पर क्या-क्या राय हैं..आरक्षण पर जब कभी सामान्य वर्ग के लोगों से बात होती है तो वे बिना सोचे-समझे आरक्षण को समाप्त करने की बात करते हैं। एक सामान्य वर्ग के विद्यार्थी ने मुझे एक बार कहा था कि आरक्षण इसलिए दिया गया था कि यह लोग देश की मुख्यधारा से जुड़ सकें, लेकिन यह लोग तो अब हमसे भी आगे जा रहे हैं।
तो क्या दलित पृष्ठभूमि वाले लोगों को किसी से आगे निकलने का हक नहीं हैं? आखिर ऐसी कुंठित और संकीर्ण मानसिकता का आधार क्या होता है? एक सभ्य समाज के लिए ये कलंक है कि हम आज आधुनिक और तकनीकी युग में इस तरह की मानसिकता रखते हैं। सही है कि आजादी के बाद के सफर में बहुत कुछ हुआ है, लेकिन अभी उस स्तर का सुधार नहीं हुआ जो एक स्वतंत्र तथा लोकतांत्रिक देश में वहां के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से पिछड़ों के लिए होना चाहिए था।
सोर्स:गूगल