नई दिल्ली। लगभग 18 महीने पहले लीबिया में आतंकी संगठन आईएस द्वारा अगवा किए गए भारतीय डॉक्टर राममूर्ति कोसानाम ने उनके चुंगल से छूटने के बाद पीएम मोदी, एनएसए और अन्य अधिकारियों को धन्यवाद कहा।
राममूर्ति ने इसके बाद अपनी आपबीती भी सुनाई है। राममूर्ती ने इन 18 महीनों की दास्ता सुनाते हुए कहा कि आतंकी मुझे ऑपरेशन थियेटर में जबरन ले जाते थे ताकि में उनके साथियों का ऑपरेशन कर सकूं, लेकिन मैंने कभी किसी को एक स्टिच तक नहीं लगाया।
उन्होंने मुझे कोई शारीरिक यातना नहीं दी लेकिन बोलकर जरूर प्रताड़ित करते थे। वो काफी पढ़े-लिखे थे और भारत के बारे में काफी कुछ जानते थे।
पूरा घटनाक्रम बताते हुए राममूर्ति ने कहा कि एक दिन वो मेरे पास आए और अपने साथ चलने को कहा। उनके साथ एक और भारतीय था। वो हम दोनों को शिर्त में उनकी सेंट्रल जेल में ले गए।
वहां मेरी दो अन्य भारतीयों से मुलाकात हुई जिन्हें शिर्त में अन्य जगह से पकड़ा गया था। वो लोग जेल में पिछले दो महीने से थे। आतंकी मुझे अपने वीडियो देखने को मजबूर करते और बताते की उन्होंने इराक, सीरिया और नाइजीरिया के साथ क्या किया, उन्हें देखना मुश्किल था।
राममूर्ति के अनुसार वो हमें इस्लाम की शिक्षा देते और बताते कैसे दिन में पांच बार नमाज अता करते हैं। कुछ समय बाद किसी कारण से वो हमें एक अन्य जेल में ले गए जो अंडरग्राउंड थी। एक महीने बाद फिर हमारी जगह बदली गई।
वहां हम कुछ लोगों से मिले जो तुर्की, कोरिया और दूसरे देशों के थे। इस दौरान आईएस के लोग हमें इस्लाम के बारे में बताते रहे। जब लीबिया के सेना ने युद्ध की घोषणा की तो हर तरफ बमबारी हो रही थी जिसके चलते वो कैदियों की जगह बदलते रहते थे।