हैदराबाद । केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने देश के शीर्ष पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे कट्टरपंथीकरण के आरोप के आधार पर किसी को तब तक गिरफ्तार या परेशान नहीं करें जब तक ठोस सबूत मौजूद न हों। राजनाथ ने यह भी कहा कि वाजिब गैर-सरकारी संगठन एनजीओ विकास के काम करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन ऐसे संगठनों को नहीं बख्शा जाएगा जो कथित तौर पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होते हैं।
पुलिस महानिदेशकों डीजीपी और पुलिस महानिरीक्षकों आईजीपी के तीन दिवसीय सम्मेलन के समापन अवसर पर राजनाथ ने अधिकारियों को ये संदेश दिए। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्री ने आला पुलिस अधिकारियों को साफ-साफ शब्दों में कहा कि कट्टरपंथीकरण के आरोप भर से किसी निर्दोष की गिरफ्तारी या उसे परेशान नहीं करना चाहिए और आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत जुटाने के बाद ही उसे गिरफ्तार करना चाहिए।
बहरहाल, गृह मंत्री ने सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले सभी डीजीपी और आईजीपी को निर्देश दिया कि वे इंटरनेट के जरिए युवाओं में कट्टरपंथी भावनाएं पैदा करने की कोशिशों के खिलाफ चौकसी बरतें और राज्यों की साइबर सुरक्षा मशीनरी को मजबूत बनाएं ।
शुक्रवार को राजनाथ ने कहा था कि राज्य और केंद्रीय बलों के बीच करीबी समन्वय के कारण ऐसे भारतीय युवा देश में अब तक कोई आतंकवादी हमला नहीं कर सकें हैं जो इंटरनेट के जरिए खूंखार आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के प्रभाव में आए। राजनाथ ने कहा था, ‘अब तक आईएसआईएस से प्रभावित 67 युवकों को आतंकवादी हमले को अंजाम देने की योजना बनाते हुए गिरफ्तार किया जा चुका है।’
आज की बैठक में गृहमंत्री ने कई एनजीओ पर की गई कार्रवाई का मुद्दा उठाते हुए कहा कि जन सेवा करने वाले किसी भी वाजिब एनजीओ को किसी सरकारी छानबीन का सामना नहीं करना पड़ेगा। लेकिन ऐसे एनजीओ नहीं बख्शे जाएंगे जो विकास के कामों में बाधा पहुंचाते हैं या देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होते हैं।
गौरतलब है कि सरकार ने हाल ही में विवादित इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर प्रतिबंध लगाया है । इसके अलावा, पिछले दो साल में विभिन्न अनियमितताओं के आरोप में करीब 20,000 एनजीओ के विदेशी चंदा नियमन कानून एफसीआरए के तहत किए गए रजिस्ट्रेशन रद्द किए गए हैं।