दुर्रानी बोले-पाक आतंकियों ने किया था मुंबई अटैक

Samachar Jagat | Tuesday, 07 Mar 2017 08:57:53 AM
Pakistani terrorists attacked Mumbai Former Pakistani NSA

नई दिल्ली। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) महमूद अली दुर्रानी ने सोमवार को स्वीकार किया कि मुंबई में साल 2008 में हुए आतंकवादी हमले को उनके देश में स्थित आतंकवादी संगठन ने अंजाम दिया था। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि पाकिस्तान हिरासत में लिए गए लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई करेगा। यह पहली बार है जब पाकिस्तान के किसी उच्चस्तरीय अधिकारी ने मुंबई हमलों में अपने देश में स्थित आतंकवादियों की भूमिका को स्वीकार किया है। यह भारत के इस रुख की पुष्टि करता है कि नौ साल पहले हुए इस हमले को लश्कर-ए-तैयबा ने अंजाम दिया था।

दुर्रानी ने यहां इंस्टीट्यूट आफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस में 19वें एशियाई सुरक्षा सम्मेलन में कहा, घृणायोग्य इस बात को मैं स्वीकार करता हूं कि पाकिस्तान के एक आतंकवादी संगठन ने 26/11 मुंबई हमले को अंजाम दिया था। यह सीमापार आतंकी गतिविधि का एक क्लासिक उदाहरण है। हमले के दौरान नौ पाकिस्तानी आतंकवादी मारे गए थे, जबकि एक आतंकवादी अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया था, जिसपर मुकदमा चला और उसे फांसी दी गई। हमले के कुछ सप्ताह बाद दुर्रानी ने एक राष्ट्रीय टेलीविजन चैनल से कहा था कि कसाब एक पाकिस्तानी नागरिक था, जिसके परिणामस्वरूप सात जनवरी, 2009 को उन्हें उनके पद से हटा दिया गया था।

दुर्रानी ने आईडीएसए में संवाददाताओं से कहा, मैंने पाकिस्तानी टेलीविजन पर एक बयान दिया था, जो तत्कालीन पाकिस्तान सरकार को पसंद नहीं आया और मुझे बर्खास्त कर दिया गया। क्या यह आपके लिए पर्याप्त सबूत नहीं है? दुर्रानी पाकिस्तानी सेना के कमांडर भी रह चुके हैं। 26 नवंबर, 2008 को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों के मुंबई में दाखिल होने और कत्लेआम मचाने के वक्त दुर्रानी पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे। हमले में 166 लोगों की जान चली गई थी। मरने वालों में कई विदेशी नागरिक भी थे।

लेकिन, दुर्रानी ने इस बात पर जोर दिया कि हाफिज सईद तथा लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेशन कमांडर जकीउर रहमान लखवी ने जिस आतंकवादी हमले को अंजाम दिया, उनमें पाकिस्तान सरकार की कोई भूमिका नहीं थी। पाकिस्तान में कथित तौर पर ढिलाई से चलाए गए मुकदमे में साल 2016 में जकीउर रहमान लखवी को जमानत मिल गई थी। दुर्रानी ने कहा कि पाकिस्तान के तत्कालीन शीर्ष सुरक्षा अधिकारी रहते हुए उन्होंने हमले में पाकिस्तान की भूमिका की जांच करने के लिए भारत को सहायता की पेशकश की थी, लेकिन दुर्भाग्यवश परस्पर विश्वास में कमी के कारण बात आगे नहीं बढ़ सकी। 

उन्होंने कहा, मैंने अपने भारतीय समकक्ष (शिवशंकर मेनन) से बातचीत की थी और कहा था कि अगर आप मंजूरी दें, तो हम मुंबई में आपके साथ जांच के लिए अपने दो लोगों को भेजेंगे। लेकिन, परस्पर विश्वास में कमी के कारण बात आगे नहीं बढ़ पाई। भारत ने दुर्रानी के खुलासे को कोई महत्व नहीं देते हुए कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि पाकिस्तान के पूर्व एनएसए की स्वीकारोक्ति में कोई नई बात नहीं है। रिजिजू ने संवाददाताओं से कहा, भारत के रुख से हर कोई अच्छी तरह वाकिफ है। इस खुलासे में कुछ भी नया नहीं है।

पाकिस्तान का मुंबई हमला मामले की सुनवाई पूरी करने में नाकाम रहना, भारत तथा पाकिस्तान के बीच के द्विपक्षीय संबंधों का एक सबसे बड़ा रोड़ा रहा है। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह उन सबूतों को पाकिस्तान से साझा कर चुका है, जिनके मुताबिक मुंबई हमले के लिए पाकिस्तान स्थित लश्कर के शिविर में 10 हमलावरों को प्रशिक्षित किया गया। दुर्रानी ने हाफिज सईद पर भी निशाना साधा। आतंकवादी कमांडर हाफिज सईद पर अमेरिका ने एक करोड़ डॉलर के इनाम की घोषणा की है। उन्होंने कहा, हाफिज सईद की कोई उपयोगिता नहीं रह गई है। मुझे उम्मीद है वे (पाकिस्तान सरकार) उसे दंडित करेंगे।

सईद को बीते 30 जनवरी से ही नजरबंद कर दिया गया है। जमात-उद-दावा नामक धर्मार्थ संगठन का संचालन करने वाले सईद को नवंबर 2008 में मुंबई में हुए हमले के बाद हिरासत में लिया गया था, लेकिन बाद में एक अदालत ने 2009 में उसे रिहा कर दिया। पाकिस्तान ने लश्कर के संस्थापक को देश के आतंकवाद-रोधी अधिनियम के तहत सूची में शामिल किया है। दुर्रानी ने यह भी स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क (अफगानिस्तानी आतंकी समूह) के नेताओं को रहने का ठिकाना मुहैया कराया।

उन्होंने कहा, हक्कानी (जलालुद्दीन) पाकिस्तान में था। मुझे नहीं पता कि अभी वह वहीं है या नहीं। पूर्व एनएसए ने कहा, हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादी समूह हमारे मित्र नहीं, हमारे शत्रु हैं। पर्रिकर ने सम्मेलन में एशियाई देशों से व्यापक और गंभीर चुनौती आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की। उन्होंने कहा, आतंकवाद का खतरा हर देश को है। एशिया से एक संयुक्त कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं, अफगानिस्तान के एनएसए ने पाकिस्तान से बिना कोई भेदभाव किए सभी आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा। उन्होंने कहा कि इसका बहुत बड़ा फायदा पाकिस्तान को तो होगा ही, साथ ही साथ पूरे क्षेत्र को भी होगा।
 



 

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