नोटबंदी की वजह से 7 दिन में 40 मौतें

Samachar Jagat | Thursday, 17 Nov 2016 08:28:18 AM
Notebandi caused 40 deaths in 7 days

नई दिल्ली। नोटबंदी की वजह से बीते कुछ दिनों में 40 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इनमें आत्महत्याएं, बैंकों-एटीएम पर लगी कतारों में दिल का दौरा पडऩे से होने वाली मौतें, अस्पतालों में हुई मौतें और गुस्से में हुई हत्या शामिल हैं। देश में आम लोगों के जीवन में उथल-पुथल मचा देने वाली नोटबंदी उत्तर प्रदेश में 11 लोगों की जान ले चुकी है। इनमें से अधिकांश मौतें दिल का दौरा पडऩे से हुई हैं। दो लोगों ने आत्महत्या की है। असम, मध्य प्रदेश, झारखंड और गुजरात में नोटबंदी के असर की वजह से तीन-तीन लोगों की मौत हुई है जबकि तेलंगाना, बिहार, मुंबई, केरल और कर्नाटक में दो-दो लोगों की जान गई है।

ओडिशा, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में कुल मिलाकर सात लोगों की मौत नोटबंदी के प्रभाव की वजह से हुई है। ओडिशा में दो साल के बीमार मासूम को इसलिए नहीं बचाया जा सका क्योंकि एक आटोड्राइवर ने बच्चे के परिवार के पास मान्य नोट नहीं होने की वजह से उसे अस्पताल ले जाने से मना कर दिया। वह अमान्य नोट ले नहीं सकता था और परिवार के पास छोटे मूल्य के नोट नहीं थे।

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में एक किसान ने रविवार को कथित रूप से अपने घर में फांसी लगाकर जान दे दी। वह अमान्य हो चुके नोट को नहीं बदल पाने से परेशान था। पुलिस का कहना है कि उसकी बेटी की 4 दिसंबर को शादी थी। इसीलिए वह नोट बदलने बैंक गया था लेकिन भीड़ की वजह से नाकाम लौटा।  नोटबंदी से पैदा हुए हालात ने झारखंड में तीन लोगों की जान ले ली। पुलिस सूत्रों ने बताया कि दो लोगों की मौत बुधवार को और एक की मंगलवार को हुई।

मोहम्मदगंज में स्टेट बैंक की शाखा के सामने चार घंटे तक लाइन में लगने वाले रामचंद्र पासवान की मौत हो गई। झारखंड के ही एक अन्य मामले में 70 साल की लक्ष्मी की मौत उस वक्त हो गई जब उसे मंगलवार को बोकारो में अपने 20 साल के पोते लवकुश की मौत की खबर मिली। उनके परिवार की हालत बहुत खराब थी। लवकुश के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं और उन्हें बीते कुछ दिनों से काम नहीं मिला है। मुंबई में गोवंदी इलाके में भी एक शिशु की मौत कथित रूप से अस्पताल को कम मूल्य वाले नोट निजी अस्पताल को नहीं चुका पाने की वजह से हो गई। आरोप है कि अस्पताल ने शिशु को भर्ती करने से मना कर दिया था। बड़ी संख्या में निजी अस्पताल सरकार के आदेश के बावजूद अमान्य हो चुके 500 व 1000 के नोट नहीं स्वीकार कर रहे हैं।

मुंबई के मुलुंड में एक बैंक के बाहर कतार में लगे 73 वर्षीय बुजुर्ग की दिल का दौरा पडऩे से मौत हो गई। वह कई घंटे से कतार में खड़े थे। असम में 52 साल के दीनबंधु दास ने अपनी बेटी की अगले महीने होने वाली शादी के लिए बैंक से बड़ी संख्या में धन निकाला था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 500 व 1000 के नोट को अमान्य घोषित करने से उन्हें गहरा सदमा लगा। एक संबंधी ने बताया, उन्हें नोट पर रोक लगने की खबर मिलने के बाद बेचैनी हुई। उन्होंने बैंक से 500 व 1000 के नोट निकाले थे। हम उन्हें तुरंत मारोवारी मैटरनिटी अस्पताल ले गए लेकिन चिकित्सकों ने बताया कि उनकी मौत हो चुकी है।

असम के जोरहाट में एक व्यापारी की मौत इन्हीं हालात में हुई। व्यापारी के बेटे ने बताया कि नोटबंदी के फैसले के ऐलान के बाद वह अवसाद में चले गए थे। पश्चिम बंगाल के हावड़ा में एक आदमी ने कथित रूप से अपनी पत्नी को दसवीं मंजिल से नीचे फेंक कर उसे मौत की नींद सुला दिया। उसकी पत्नी कई घंटे एटीएम की लाइन में लगने के बाद खाली हाथ घर लौटी थी। परिवार के लोगों ने बताया कि आरोपी सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद बहुत तनाव में था। कर्नाटक के उडुपी जिले के अजेकर गांव में 93 साल के गोपाल शेट्टी का निधन शनिवार को हो गया। वह कारपोरेशन बैंक के बाहर लंबी कतार में लगे थे। वह खड़े-खड़े गिर गए और उनकी मौत हो गई। उनके हाथ में 500 व 1000 के नोट थे।



 

यहां क्लिक करें : हर पल अपडेट रहने के लिए डाउनलोड करें, समाचार जगत मोबाइल एप। हिन्दी चटपटी एवं रोचक खबरों से जुड़े और अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें!

loading...
ताज़ा खबर

Copyright @ 2024 Samachar Jagat, Jaipur. All Right Reserved.