...नहीं दिया मुआवजा, तो अदालत ने किसान के नाम कर दी शताब्दी ट्रेन

Samachar Jagat | Friday, 17 Mar 2017 10:49:50 AM
not paid compensation, then court made the name of farmer centenary train

नई दिल्ली। मुआवजा नहीं देने पर अदालत ने एक किसान के नाम पर शताब्दी ट्रेन कर दी। मामला लुधियाना की एक जिला कोर्ट का हैं, जहां पर जमीन अधिग्रहण के एक मामले में रेलवे की ओर से किसान को मुआवजा नहीं दिए जाने पर ये अजीब फैसला सुनाया है। अदालत ने आदेश दिया है कि स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन और लुधियाना स्टेशन को 45 वर्षीय पीडि़त किसान संपूर्ण सिंह को दे दिया जाए।

पीडि़त की अपील पर कोर्ट ने स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस तथा स्टेशन की कुर्की का आदेश दिया। गौरतलब हैं कि मामला 2007 में लुधियाना-चंडीगढ़ रेलवे लाइन के निर्माण से जुड़ा है। कोर्ट ने रेलवे लाइन के लिए अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा 25 लाख प्रति एकड़ से बढ़ाकर 50 लाख प्रति एकड़ कर दिया गया था। इस हिसाब से संपूर्ण सिंह का मुआवजा 1 करोड़ 47 लाख बनता था, लेकिन रेलवे ने उसे मात्र 42 लाख रुपए का भुगतान किया।

2012 में शुरू हुए इस मुकदमे का फैसला 2015 में आ गया था, लेकिन रेलवे ने फिर भी इस रकम का भुगतान नहीं किया। इसके बाद किसान ने फिर से अदालत का रुख किया, जिसके बाद लुधियाना जिला और सत्र न्यायाधीश ने यह फैसला सुनाया। अदालती आदेश के बाद किसान संपूर्ण सिंह तकनीकी रूप से स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस के मालिक बन गए हैं।

लेकिन, जैसा कि होना था किसान इस ट्रेन को अपने घर नहीं ले जा सका। ट्रेन पर अपना कब्जा लेने के लिए किसान अपने वकील के साथ रेलवे स्टेशन भी पहुंचा। कोर्ट का आदेश पत्र रेल ड्राइवर को भी सौंपा गया। रेलवे के सेक्शन इंजीनियर ने ट्रेन को किसान के कब्जे में जाने से रोक दिया और बताया गया कि यह ट्रेन कोर्ट की संपति है।

किसान संपूर्ण सिंह के वकील ने ट्रेन के ड्राइवर को अदालत का आदेश थमाया और नोटिस चस्पा कर दिया। इसके बाद ट्रेन अपने गंतव्य के लिए रवाना हो गई। किसान संपूर्ण सिंह ने कहा कि उन्होंने ट्रेन को इसलिए नहीं रोका, क्योंकि यात्रियों को दिक्कत होती। किसान के वकील का कहना है कि अगर मुआवजे की रकम नहीं मिली तो कोर्ट से कुर्क की गई रेलवे की संपत्ति की नीलामी की सिफारिश की जाएगी।



 

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