जम्मू। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि न तो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भारत वापस ले सकता है, ना ही कश्मीर के इस हिस्से को युद्ध के जरिए पाकिस्तान के पास वापस लेने की ताकत है। इसलिए, दोनों देशों के बीच बातचीत में ही समस्या का हल मौजूद है।
अब्दुल्ला ने एक कार्यक्रम में कहा कि हम उनके पास मौजूद चीज को युद्ध के जरिए नहीं ले सकते...उनके पास जो है उसे हम ना तो ले सकते हैं ना ही उनके पास ताकत है कि वह इस कश्मीर को हमसे छीन ले, इसलिए क्या रास्ता बचता है ?
उन्होंने कहा कि जो लोग उन्हें राष्ट्र विरोधी कहते हैं और पीआेके पर उनके हालिया बयान को लेकर हाय तौबा मचा रहे हैं, उन्होंने कभी संयुक्त राष्ट्र में राष्ट्र की हिफाजत करने को लेकर उनकी सराहना की थी और यदि उन लोगों में कुव्वत है तो उन्हें जाना चाहिए और सीमा पर लडऩा चाहिए।
उन्होंने कहा कि वे लोग फारूक अब्दुल्ला को राष्ट्र विरोधी कहेंगे, पर यह उनलोगों पर निर्भर है कि वे क्या कहते हैं। जब मैंने संयुक्त राष्ट्र में अपने राष्ट्र का बचाव किया, तब तो मैं राष्ट्र विरोधी नहीं था, यहां तक कि अटल बिहारी वाजपेयी ने भी मेरी सराहना की थी।
भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत बहाल करने पर जोर देते हुए नेकां प्रमुख ने कहा कि जम्मू कश्मीर के दोनों ओर के बाशिंदे सीमा पार से होने वाली गोलीबारी के चलते परेशान हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोग मर रहे हैं। दोनों ओर, हमारे लोग ही मर रहे हैं। हल क्या है? वार्ता के अलावा कोई हल नहीं है।
अब्दुल्ला ने मसूर अजहर या दाउद इब्राहिम को वापस लाने में भारत की नाकामी पर निशाना साधते हुए कहा कि हम मसूद अजहर या कराची में रहने वाले डॉन को वापस नहीं ला सकें। आप क्या हल निकाल रहे हैं।