पटना। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बिहार सरकार के 2017-18 के लिए पेश किए गए बजट के बारे में आज दावा किया कि कि इसमें न तो विकास की कोई दृष्टि है और न ही यह रोजगार को बढावा देने वाला है।
सुशील ने आज यहां एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दावा किया कि बिहार के 2017-18 के बजट में न तो विकास की कोई दृष्टि है और न ही यह रोजगार को बढावा देने वाला है। बजट में कृषि, मिशन मानव विकास और 7 निश्चय का कोई रोड मैप नहीं है। कई महत्वपूर्ण विभागों के बजट में भारी कटौती कर दी गई है।
उन्होंने दावा किया कि बिहार का बजट पूरी तरह से केन् के रहमो-करम पर केन्ीय करों में हिस्सेदारी व सहायक अनुदान के मद में प्राप्त होने वाले एक लाख करोड़ रूपये से अधिक की राशि पर निर्भर है। बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील ने कहा कि 2013-14 में केन्ीय करों में हिस्सेदारी के तौर पर बिहार को जहां 34629 करोड मिले थे। वहीं इस बार यह बढकर 65326 करोड रुपये हो गया है, जबकि सहायक अनुदान के तौर पर 36956 करोड मिलेंगे।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने उर्जा विभाग के बजट में 1796 करोड रूपये, स्वास्थ्य विभाग के बजट में 1775 करोड रूपये, योजना व विकास विभाग के बजट में 518 करोड रूपये, पिछडा व अतिपिछडा के बजट में 300 करोड रूपये, श्रम संसाधन विभाग जिसके अन्तर्गत कौशल विकास की योजना चल रही है। सुशील ने कहा कि इस बजट से पहले से ही प्रति व्यक्ति आय व विकास दर में देश में सबसे निचले पायदान पर खडे बिहार का विकास नहीं होने वाला है। -(एजेंसी)