नई दिल्ली। भारत में बने पहले फाइटर प्लेन तेजस के नेवी वर्जन को नेवी ने ही नकार दिया है। बताया जा रहा है कि तेजस का वजन ज्यादा होने के कारण ऑपरेशन में काफी दिक्कत आ रही है। नेवी ने 5-6 साल के अंदर इसका ऑप्शन तलाशने के बारे में सोचना शुरू कर दिया है। एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक, नेवी चीफ एडमिरल सुनील लांबा ने कहा, सिंगल इंजन वाला तेजस फुल टैंक फ्यूल भरने और हथियारों से लैस होने के बाद काफी भारी हो जाता है।
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ऐसे में, एयरक्राफ्ट कैरियर से इसके टेक ऑफ और लैंडिंग में दिक्कत आती है। फिलहाल, नेवी ने रूस से खरीदे गए मिग-29 के फाइटर प्लेन में से 30 अपने बेड़े में शामिल किए हैं। पहले कहा गया था कि मिग-29 के और तेजस को आईएनएस विक्रमादित्य और 2019-20 तक तैयार होने वाले आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाएगा।
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लांबा ने कहा, हम अपने दो एयरक्राफ्ट कैरियर से हल्के एयरक्राफ्ट के ऑपरेशन की उम्मीद करते हैं। फिलहाल, नेवी ऐसे एयरक्राफ्ट की पहचान करने में लगी है जो ऑपरेशन में खरा उतरे। गौरतलब है कि तेजस को इसी साल एयरफोर्स में शमिल किया गया था। यह स्वदेशी तकनीक वाला पहला फाइटर प्लेन है। अब तक यह कुल 3184 बार उड़ान भर चुका है। तेजस 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।
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