मुंबई। शहर के एक गैर सरकारी संगठन एनजीओ प्रजा फाउंडेशन का कहना है कि नगरनिगम के स्कूलों के प्रति बच्चों का रूझान बढ़ाने के लिए बृहन्मुंबई महानगरपालिका बीएमसी की पहल का कोई सकारात्मक असर नहीं हुआ है और बच्चों के स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोडऩे की दर ड्रॉप आउट रेट एक ‘‘खतरनाक स्तर’’ पर पहुंच गयी है।
बीएमसी की इन पहलों में बच्चों को टैबलेट देना शामिल है।
एनजीओ ने आरटीआई द्वारा हासिल किए गए आंकड़े के आधार पर बताया कि देश का सबसे अमीर नगर निगम बीएमसी हर साल प्रत्येक छात्र पर 50,000 रपए खर्च कर रहा है, इसके बावजूद 2015-16 में ड्रॉप आउट रेट 15 प्रतिशत हो गया और शिक्षा का स्तर भी गिर गया।
प्रजा फाउंडेशन ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में आज कहा कि 2008-09 में नगर निगम के स्कूलों में 63,392 छात्रों ने दाखिला लिया था जो 2015-16 में तेजी से गिरकर 34,549 हो गयी। अगर यह चलन जारी रहा तो 2019-20 में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या केवल 5,559 हो जाएगी।
2011-12 में नगर निगम के छात्रों की संख्या 4,39,153 थी जो 2015-16 में घटकर 3,83,485 हो गयी।
प्रजा फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी निताई मेहता ने कहा, ‘‘पिछले आठ सालों में नगरनिगम शिक्षा के लिए बजटीय आवंटन तीन गुना - 911 करोड़ रपए से 2,567 करोड़ रपए - हो गया। लेकिन छात्रों के दाखिले की दर तेजी से गिरी है जो शिक्षा के खराब स्तर का एक संकेतक है और जिसका मुख्य कारण नगरपालिका के वरिष्ठ अधिकारियों की गैर जवाबदेही है।’’
एनजीओ के परियोजना निदेशक मिलिंद महास्के ने कहा, ‘‘हम स्तर को सुधारने के लिए स्कूल प्रबंधन समितियों को सशक्त एवं मजबूत कर सकते हैं और साथ ही संबंधित अधिकारियों एवं शिक्षकों की जिम्मेदारी तय कर सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण है कि एक स्वतंत्र लेखा परीक्षा की जाए जोकि छात्रों पर शिक्षा के प्रभाव के निरीक्षण एवं मूल्यांकन के लिए समय की जरूरत है।’’