हाथ से मैला साफ करने की प्रथा को समाप्त करने वाले कानून के दिसंबर 2013 में प्रभावी होने के बाद भी आज देशभर में 12 हजार से ज्यादा लोग यह काम करने को मजबूर हैं।
एस सवाल के जवाब में सरकार ने गुरुवार को कहा कि 13 राज्यों में करीब 12 हजार से ज्यादा लोग स्केवेंजर कार्य में लगे हुए हैं।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 13 राज्यों से मिली जानकारी के अनुसार देश में 12,737 लोग ऐसे कार्य में लगे हुए हैं।
गहलोत ने कहा कि ऐसे लोगों की सबसे ज्यादा संख्या 10301 उत्तर प्रदेश में है जबकि कर्नाटक में 737, तमिलनाडु में 363 और राजस्थान में यह संख्या 322 है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।
गहलोत ने कहा कि सरकार ऐसे लोगों को एकबारगी नकद सहायता के अलावा उनके पुनर्वास के लिए सब्सिडी भी मुहैया कराती है। उन्होंने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि कानून को लागू करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है।
गहलोत ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय स्वयं दिव्यांगजनों के लिए स्कूल संचालित नहीं करता लेकिन विभाग विशेष राष्ट्रीय संस्थानों के माध्यम से मॉडल स्कूल संचालित करता है।
यह पूछे जाने पर कि क्या दिव्यांग छात्रों की शिक्षा के लिए राशि में कटौती की गई है, उन्होंने कहा कि इसके लिए राशि की कोई कमी नहीं है।
गहलोत ने कहा कि उनके मंत्रालय को पिछले कुछ वर्षों में सैप्टिक टैंकों एवं सीवरों की सफाई करते समय 39 लोगों की मौत होने की रिपोर्ट मिली हैं।