मोदी-योगी का आक्रामक रुख, क्या 2019 में भाजपा को दिला पाएगा पूर्ण बहुमत?

Samachar Jagat | Thursday, 23 Mar 2017 08:09:54 PM
Modi-Yogis aggressive stance BJP will be able to give the full majority in 2019

नरेन्द्र बंसी भारद्वाज

हाल ही में यूपी सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का परिणाम आया। इन पांच राज्यों के चुनाव परिणामों ने तमाम विश्लेषकों और राजनीतिक पंडितों को हैरान और परेशान कर दिया। क्योंकि यह परिणाम सभी की आशाओं के एकदम उलट थे। उत्तराखण्ड और उत्तरप्रदेश में भाजपा को जनता ने छप्पर फाड़ कर जनादेश दिया। इसी बीच एनसी नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री अमर अब्दुल्ला का एक ट्वीट आया। जिसमे उन्होंने विपक्ष को 2019 को भूलते हुए 2024 के चुनावों की तैयारी मिलकर करने की बात कही। 

पाँचों राज्यों के विधानसभा परिणाम के एक सप्ताह बाद अब जब सभी राज्यों में नई सरकारें गठित हो चुकी है, एक ओर पंजाब को छोड़ (मणिपुर, गोवा, उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश) अन्य सभी चारों राज्यों में भाजपा सत्ता पर काबिज़ हो चुकी है। वहीं दूसरी ओर विपक्ष उत्तर प्रदेश में भाजपा के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को सीएम बनाने की आलोचना कर रहा है। विपक्ष का आरोप है कि संघ और भाजपा साम्प्रदायिकता को बढ़ाते हुए देश और समाज को बांटने की राजनीति कर रहें है। 

इन 5 राज्यों के बाद अब इसी साल हिमाचल और गुजरात में चुनाव होना प्रस्तावित है। जिसके बाद क्रमिक वार यह सिलसिला 2019 लोकसभा चुनावों तक जारी रहेगा। अबसे आगामी प्रत्येक 6 माह में किसी न किसी राज्य में चुनाव होने है जिसका समापन 2019 लोकसभा चुनावों से होना है। इसी के चलते सभी राजनीतिक दल 2019 की तैयारियों में जुटें है। सभी सेक्युलर पार्टियां संघ भाजपा को घेरने के लिए महागठबंधन की जुगत में है।

लेकिन क्या मोदी और योगी की यह जोड़ी जनता के विकास की आस पूरी कर पाएगी? क्या मोदी योगी के आक्रामक गुण भाजपा को 2019 में दिला पाएंगे पूर्ण बहुमत? 

ऐसे सभी सवालों का जवाब खोजने के लिए हमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के बारे में थोड़ा अध्ययन करना होगा। भाजपा के यह दोनों नेता संघ निष्ठ है। इन दोनों नेताओं की बहुत सी बातें मिलती जुलती है, जिनका हम एक-एक कर के संक्षेप में पर्दा उछाएंगे। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले दशक में सर्वाधिक चर्चाओं में गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात दंगों की वजह से आए थे। जिसके बाद नरेंद्र मोदी की कट्टर हिंदूवादी नेता के तौर पर पहचान बनी और मोदी भाजपा के फायर ब्रांड लीडर बन गए। ऐसा ही कुछ योगी आदित्य नाथ के साथ दिखाई पड़ता है। 2007 में उनके ऊपर दंगा भड़काने के आरोप में केस दर्ज हो चुका है। 

मोदी 7 अक्टूबर, 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री बने। उस समय मोदी विधायक भी नहीं थे और ऐसा ही वर्तमान में योगी आदित्य नाथ के साथ है। वह भी इस समय उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य नहीं है। उत्तर प्रदेश में भाजपा को 403 में से 312 सीटें मिली है। लेकिन उनमें योगी आदित्य नाथ का नाम नहीं है। 

मोदी के गुजरात में मुख्यमंत्री बनने के बाद करीब एक साल बाद दिसम्बर 2002 विधानसभा चुनाव होना प्रस्तावित थे। इस समय गुजरात में भाजपा चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं थी। लेकिन 28 फरवरी, 2002 को हुए गोधरा काण्ड के बाद पूरे प्रदेश में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे। इन दंगों में मोदी की भूमिका पर काफी प्रश्न चिन्ह लगा। परन्तु हिंदूवादी छवि और हिंदुत्व के सहारे मोदी ने यह चुनावी वैतरणी पर कर ली और मोदी फिर से एक बार गुजरात के सीएम बन गए। इसके बाद उन्होंने विकास को प्राथमिकता दी। इनके पूरे कार्यकाल में उसके बाद कभी दंगे नहीं हुए। 

उन्होंने गुजरात की सड़कों से मंदिर हटवाए तो वह विश्व हिन्दू परिषद के निशाने पर आ गए लेकिन मोदी ने इसकी रत्ती भर भी परवाह नहीं की। उन्होंने वीएचपी नेता प्रवीण भाई तोगड़िया के गुजरात आने पर रोक लगाने समेत बहुत से ऐसे निर्णय लिए जो उनकी हिंदूवादी छवि के विपरीत थे। नरेंद्र मोदी अपने पूरे कार्यकाल में गुजरात के प्रति कटिबद्ध दिखे। 

अब मोदी कट्टर हिंदुत्व की जगह विकास केंद्रित बातें करने लगे थे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान गुजरात के विकास को एक नई दिशा प्रदान की। पूरे देश में मोदी का गुजरात मॉडल एक नज़ीर बन कर उभरा। 

इसके बाद मोदी का गुजरात छोड़ प्रदेश की राजनीति से देश की राजनीति में प्रदार्पण हुआ। 2014 में वह मोदी लहर के चलते प्रधानमंत्री बनें और आज नरेंद्र मोदी भारतीय राजनीति में अपने आपको विकास पुरुष के रूप में स्थापित कर चुकें है। 

प्रधानमंत्री बनने के बाद अब मोदी अपनी पार्टी के कट्टरवादी नेताओ से भी ऐसे विवादित बयान नहीं देने की सलाह दे रहे है। मोदी के चेहरे के साथ भारतीय जनता पार्टी को भारतीय इतिहास में पहली बार केंद्र में पूर्ण बहुतमत मिला। कभी ब्राह्मण बनियों की पार्टी कही जाने वाली भाजपा अब भारत के आधे से ज्यादा राज्यों में अपना कमल खिला चुकी है। 

अब हम योगी आदित्य नाथ के बारे में बात करते हैं जो हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं। वर्तमान समय में योगी भाजपा के फायर ब्रांड नेता कहे जाते हैं। वह भाजपा के हिंदुत्व का एक प्रमुख चेहरा हैं। वह हमेशा अपनी कट्टर छवि और विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं। इसी के चलते वह हिन्दू जनमानस में काफी लोकप्रिय हैं। उनकी लोकप्रियता का अंदाज़ा इस से साफ़ लगाया जा सकता है कि उन्होंने यूपी चुनावों में ताबड़तोड़ 63 से ज्यादा चुनावी सभाएं की थी। 

इस समय योगी आदित्य नाथ की उम्र 44 वर्ष है जो कि भारतीय राजनीति के करियर में शुरूआती दौर की उम्र मानी जाती है। लेकिन योगी का करियर तो 1998 में ही शुरू हो गया था जब वह पहली बार गोरखपुर से सांसद चुने गए। उस समय उनकी आयु 26 वर्ष थी और वह इस लोकसभा में सबसे कम उम्र के सांसद थे। इसके बाद योगी गोरखपुर से लगतार 5 बार संसद बने। उन्होंने 2002 में हिन्दू वाहिनी सेना का गठन किया जो कि 'लव जिहाद' और 'धर्मान्तरण' जैसे संवेदनशील मुद्दों पर गोरखपुर के आस पास के क्षेत्रों में कार्यरत है। 

आगामी समय में योगी भी मोदी की तर्ज़ पर विकास को प्राथमिकता दे कर अपनी छवि को पलट सकते हैं। लेकिन अभी योगी के सामने बड़ी जटिल चुनौतियाँ हैं। वह उत्तर प्रदेश के CM तो बन गए है परन्तु 20 करोड़ की आबादी वाले इस प्रदेश में कानून व्यवस्था चौपट है। चहूं ओर बेख़ौफ़ अपराधियों का गुंडातंत्र विकसित है। बेरोज़गारी, बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा और सड़क जैसी मुलभूत सुविधाओं से भी यह प्रदेश महरूम है। इसलिए योगी को अपने आपको साबित करने के लिए अथक परिश्रम करना होगा।  

अगर योगी इन चुनौतियों से निपट पाए और उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बना पाए तो यकीनन योगी भारतीय राजनीति में भारतीय जनता पार्टी के लिए मोदी के सन्यास के बाद नया चेहरा बन कर उभरेंगे। अगर ऐसा सम्भव हुआ तो आगामी भविष्य में विपक्ष को मोदी लहर के बाद योगी सुनामी से रूबरू होना पड़ेगा। 



 

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