अलविदा जयललिता, जानें-जिंदगी के सफर से जुड़ी खास बातें

Samachar Jagat | Tuesday, 06 Dec 2016 12:41:17 PM
Lets Learn about the special things of the journey of Jayalalithaa life

नई दिल्ली। ग्लैमरस अभिनेत्री से राजनीति की ‘आयरन लेडी’ बनने तक का सफर तय करने वाली तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे.जयललिता  ने 5 दिसंबर 2016 को 68 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। अपने राजनीतिक जीवन में तमाम तरह की विषमत परिस्थितिओं से बाहर निकल कर अपना डंका बजाने वाली अम्मा कार्डिएक अरेस्ट को नहीं झेल पाई और जिंदगी को अलविदा कह दिया।

आइए जानते है जयललिता के जीवन के सफर की बातें

1. राजनीति में आने से पहले जयललिता अभिनेत्री थीं और उन्होंने तमिल के अलावा तेलुगू, कन्नड और एक हिंदी तथा एक अंग्रेजी फिल्म में भी काम किया है।

2. जब जयललिता स्कूल में पढ़ रही थीं तभी उन्होंने एपिसल नाम की अंग्रेजी फिल्म में काम किया।

3. जयललिता 15 वर्ष की आयु में कन्नड फिल्मों में मुख्य अभिनेत्री की भूमिकाएं करने लगी थीं। इसके बाद वे तमिल फिल्मों में काम करने लगीं।

4. वे दक्षिण भारत की पहली ऐसी अभिनेत्री थीं जिन्होंने स्कर्ट पहनकर फिल्मों में भूमिका निभाई थी।

जयललिता को श्रद्धांजलि देने उमड़े राजनीति दल

5. 1965 से 1972 के दौर में उन्होंने अधिकतर फिल्में एमजी रामचंद्रन के साथ की। 

6. फिल्मी करियर के बाद उन्होंने एमजी रामचंद्रन के साथ 1982 में राजनीतिक करियर की शुरुआत की।

7. जयललिता ने 1984 से 1989 के दौरान तमिलनाडु से राज्यसभा के लिए राज्य का प्रतिनिधित्व भी किया। वर्ष 1987 में रामचंद्रन का निधन के बाद उन्होने खुद को रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।

8. जयललिता 24 जून 1991 से 12 मई 1996 तक राज्य की पहली निर्वाचित मुख्यमंत्री और राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री रहीं।

9. अप्रैल 2011 में जब 11 दलों के गठबंधन ने 14वीं राज्य विधानसभा में बहुमत हासिल किया तो वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं। उन्होंने 16 मई 2011 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लीं और अपनी निधन तक वे राज्य की मुख्यमंत्री रही।

‘Iron Lady’ जयललिता के ‘Royal ’ अंदाज पर एक नजर

10. राजनीति में उनके समर्थक उन्हें अम्मा (मां) और कभी कभी पुरातची तलाईवी (क्रांतिकारी नेता) कहकर बुलाते हैं थे।

11. दक्षिण भारत में खासकर तमिलनाडु के लोगों के बीच भगवान की तरह पूजी जाने वाली जयललिता एक वक्त तमिल फिल्म इंडस्ट्री की सुपर स्टार थीं। उन्होंने उस जमाने के बॉलीवुड सुपरस्टार धर्मेंद के साथ इज्जत नाम की फिल्म में काम किया था। यह फिल्म साल 1968 में आई थी।

12. एक खूबसूरत दिल मोहने वाली हीरोईन से सख्त आयरन लेडी तक का सफर जयललिता के लिए आसान नहीं रहा है। इन सालों में जयललिता ने देखी है उन्हें मारे जाने की साजिश, उन्हें कुर्सी से उखाड़ फेंकने के दांव-पेंच और भ्रष्टाचार के ऐसे आरोप जो किवदंती तक बन गए। लेकिन हर बार जयललिता इन सबसे निजात पाने में कामयाब रहीं।

13. जयललिता ने न सिर्फ अभिनय किया बल्कि खासतौर पर नृत्य करना भी सीखा। आपको जानकर हैरानी होगी की जयललिता को भरतनाट्यम, मोहिनीहट्टम, मनीपूरी और कथ्थक जैसे डांस फॉर्म पर पकड़ थी। इतना ही नहीं उन्होंने ने शास्त्रिय संगीत की भी सीखी थी।

14. जयललिता ने कभी शादी नहीं की लेकिन अपने दत्तक पुत्र वीएन सुधाकरण की शादी पर पानी की तरह पैसे बहाए।

जयललिता ही नहीं, इन मुख्यमंत्रियों का भी पद पर रहते हुआ निधन


जीवन परिचय

जयललिता का जन्म 24 फरवरी 1948 को एक अय्यर परिवार में, मैसूर राज्य (जो कि अब कर्नाटक का हिस्सा है) के मांडया जिले के पांडवपुरा तालुक के मेलुरकोट गांव में हुआ था। उनके दादा तत्कालीन मैसूर राज्य में एक सर्जन थे। महज 2 साल की उम्र में ही उनके पिता जयराम, उन्हें मां संध्या के साथ अकेला छोड़ कर चल बसे थे। पिता की मृत्यु के बाद उनकी मां उन्हें लेकर बंगलौर चली आईं, जहां उनके माता-पिता रहते थे। बाद में उनकी मां ने तमिल सिनेमा में काम करना शुरू कर दिया और अपना फिल्मी नाम संध्या रख लिया।

स्कूली दिनों में ही पहली फिल्म

जयललिता की प्रारंभिक शिक्षा पहले बंगलौर और बाद में चेन्नई में हुई। चेन्नई के स्टेला मारिस कॉलेज में पढऩे की बजाय उन्होंने सरकारी वजीफे से आगे पढ़ाई की। जयललिता जब स्कूल में ही पढ़ रही थीं तभी उनकी मां ने उन्हें फिल्मों में काम करने के लिए राजी कर लिया। विद्यालई शिक्षा के दौरान ही उन्होंने 1961 में एपिसल नाम की एक अंग्रेजी फिल्म में काम किया। मात्र 15 वर्ष की आयु में वे कन्नड फिल्मों में मुख्य अभिनेत्री की भूमिकाएं करने लगी। कन्नड भाषा में उनकी पहली फिल्म चिन्नाडा गोम्बे है जो 1964 में प्रदर्शित हुई। उसके बाद उन्होंने तमिल फिल्मों की ओर रुख किया। वे पहली ऐसी अभिनेत्री थीं जिन्होंने स्कर्ट पहनकर भूमिका निभाई थी। तमिल सिनेमा में उन्होंने जाने माने निर्देशक श्रीधर की फिल्म वेन्नीरादई से अपना करियर शुरू किया और लगभग 300 फिल्मों में काम किया। उन्होंने तमिल के अलावा तेलुगु, कन्नड़, अंग्रेजी और हिन्दी फिल्मों में भी काम किया है।

मुश्किल भरा रहा राजनीति करियर

राजनीति में लोहा मनवा चुकी जयललिता का शानदार था फिल्मी करियर

अम्मा ने 1982 में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कडग़म (अन्ना द्रमुक) की सदस्यता ग्रहण करते हुए एमजी रामचंद्रन के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 1983 में उन्हें पार्टी का प्रोपेगेंडा सचिव नियुक्त किया गया। बाद में अंग्रेजी में उनकी वाक क्षमता को देखते हुए पार्टी प्रमुख रामचंद्रन ने उन्हें राज्यसभा में भिजवाया और राज्य विधानसभा के उपचुनाव में जितवाकर उन्हें विधानसभा सदस्य बनवाया। 1984 से 1989 तक वे तमिलनाडु से राज्यसभा की सदस्य रहीं। बाद में, पार्टी के कुछ नेताओं ने उनके और रामचंद्रन के बीच दरार पैदा कर दी। उस समय वे एक तमिल पत्रिका में अपने निजी जीवन के बारे में कॉलम लिखती थीं पर रामचंद्रन ने दूसरे नेताओं के कहने पर उन्हें ऐसा करने से रोका। 1984 में जब मस्तिष्क के स्ट्रोक के चलते रामचंद्रन अक्षम हो गए तब जया ने मुख्यमंत्री की गद्दी संभालनी चाही, लेकिन तब रामचंद्रन ने उन्हें पार्टी के उप नेता पद से भी हटा दिया। वर्ष 1987 में रामचंद्रन का निधन हो गया और इसके बाद अन्ना द्रमुक दो धड़ों में बंट गई।

एक धड़े की नेता एमजीआर की विधवा जानकी रामचंद्रन थीं और दूसरे की जयललिता, लेकिन जयललिता ने खुद को रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। वर्ष 1989 में उनकी पार्टी ने राज्य विधानसभा में 27 सीटें जीतीं और वे तामिलनाडु की पहली निर्वाचित नेता प्रतिपक्ष बनीं। वर्ष 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद राज्य में हुए चुनावों में उनकी पार्टी ने कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ा और सरकार बनाई। वे 24 जून 1991 से 12 मई तक राज्य की पहली निर्वाचित मुख्यमंत्री और राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री रहीं। वर्ष 1992 में उनकी सरकार ने बालिकाओं की रक्षा के लिए क्रैडल बेबी स्कीम शुरू की ताकि अनाथ और बेसहारा बच्चियों को खुशहाल जीवन मिल सके। इसी वर्ष राज्य में ऐसे पुलिस थाने खोले गए जहां केवल महिलाएं ही तैनात होती थीं। 1996 में उनकी पार्टी चुनावों में हार गई और वे खुद भी चुनाव हार गईं। इस हार के बाद सरकार विरोधी जनभावना और उनके मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर हुये। पहली बार मुख्यमंत्री रहते हुए उन पर कई गंभीर आरोप लगे। उन्होंने कभी शादी नहीं की लेकिन अपने दत्तक पुत्र वीएन सुधाकरण की शादी पर पानी की तरह पैसे बहाए।

यह विषय भी इन मामलों का एक हिस्सा रहा। भ्रष्टाचार के मामलों और कोर्ट से सजा होने के बावजूद वे अपनी पार्टी को चुनावों में जिताने में सफल रहीं। हालांकि गंभीर आरोपों के कारण उन्हें इस दौरान काफी कठिन दौर से गुजरना पड़ा, पर 2001 में वे फिर एक बार तमिलनडू की मुख्यमंत्री बनने में सफल हुईं। उन्होंने गैर चुने हुए मुख्यमंत्री के तौर पर कुर्सी संभाल ली। दोबारा सत्ता में आने के बाद उन्होंने लॉटरी टिकट पर पाबंदी लगा दी। हड़ताल पर जाने की वजह से दो लाख कर्मचारियों को एक साथ नौकरी से निकाल दिया, किसानों की मुफ्त बिजली पर रोक लगा दी, राशन की दुकानों में चावल की कीमत बढ़ा दी, 5000 रुपये से ज्यादा कमाने वालों के राशन कार्ड खारिज कर दिए, बस किराया बढ़ा दिया और मंदिरों में जानवरों की बलि पर रोक लगा दी। इसी बीच भ्रष्टाचार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को अवैध घोषित कर दिया और उन्हें अपनी कुर्सी अपने विश्वस्त मंत्री ओ पन्नीरसेल्वम को सौंपनी पड़ी। जब उन्हें मद्रास हाईकोर्ट से कुछ आरोपों से राहत मिल गई तो वे मार्च 2002 में फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल ली। हालांकि 2004 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद उन्होंने पशुबलि की अनुमति दे दी और किसानों की मुफ्त बिजली भी बहाल हो गई। अप्रैल 2011 में जब 11 दलों के गठबंधन ने 14वीं राज्य विधानसभा में बहुमत हासिल किया तो वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं। उन्होंने 16 मई 2011 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लीं और मृत्यु पर्यन्त तक अर्थात 5 सितम्बर 2016 तक तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं।

नहीं रही ‘अम्मा’, तमिलनाडु में 7 दिन का राजकीय शोक

 



 

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