लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में डॉ. एम सी सक्सेना मेडिकल कॉलेज पर गलत तरीके से छात्रो के डेढ़ सौ दाखिले कर लिए जाने के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि सभी छात्रो की जमा फीस वापस की जाये और साथ ही प्रति छात्र को पच्चीस लाख हर्जाने के रूप में वापस करे।
अदालत ने प्रदेश के महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा को निर्देश दिए है कि एम सी सक्सेना कॉलेज द्वारा हर्जाना न देने और फीस वापस ना करने पर जिलाधिकारी के माध्यम से भू-राजस्व की तरह तीन माह में वसूली निश्चित कराए। इस आदेश से एम सी सक्सेना कॉलेज को फीस के अलावा साढ़े सैंतीस करोड़ रुपये हर्जाने में देने पड़ेंगे। यह फैसला न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार अरोड़ा की पीठ ने डोडिया नरेंद्र दिलीप भाई और अन्य छात्रो की ओर से दायर याचिका पर सुनाया है।
याचिका में मेडिकल कौंसिल ऑ$फ इंडिया की ओर से ज्ञानेन्द्र कुमार श्रीवास्तव और राज्य सरकार की ओर से संजय भसीन ने पक्ष रखा था। अदालत ने सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित किया था। गौरतलब है कि लखनऊ के एम सी सक्सेना कॉलेज ऑ$फ मेडिकल साइंस के मामले में उच्चतम न्यायालय ने गत 29 सितम्बर को आदेश देते हुए कहा था कि कॉलेज ने 150 मेडिकल छात्रो के जो दाखिले किये है वह प्रभावहीन होंगे। मेडिकल छात्रो ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा कि उनको न्यायालयों के आदेशो से अलग रख कर दाखिले दिए गए हैं। यह भी विदित है कि उच्च न्यायालय में दायर याचिका पर 29 जुलाई 2015 को उच्च न्यायालय ने मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया से कहा था कि वह कॉलेज के मामले में दोबारा निरीक्षण करें।