लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कानपुर विश्वविद्यालय एवं इससे संबद्ध सभी कॉलेजो में स्नातक की परीक्षा फीस बढ़ाये जाने के निर्णय को उचित करार दिया है। अदालत ने बाईस साल बाद 250 रुपये से 685 रुपये बढ़ाई गई फीस को उचित बताते हुए मामले में हस्तक्षेप नही किया।
न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप शाही और न्यायमूर्ति संजय हरकौली की खण्डपीठ ने याची मास्टर एजुकेशन डिग्री कॉलेज समेत कई अन्य की ओर से दायर विशेष अपीलों का एक साथ निपटारा करते हुए आज यह आदेश दिए। याचिका दायर कर कहा गया था कि छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर तथा इससे सम्बद्ध सभी कॉलजो की परीक्षा फीस 250 रुपये से बढ़ाकर 685 करने का निर्णय विश्वविद्यालय द्वारा लिया गया। कहा गया कि यह निर्णय 22 वर्षो बाद लिया गया था।
कानपुर विश्वविद्यालय की ओर से अधिवक्ता सवित्र वर्धन भसह ने न्यायालय को बताया कि विश्वविद्यालय के रखरखाव व आय के स्रोत को देखते हुए यह निर्णय 22 वर्षो बाद लिया गया जिसमें कोई गड़बड़ी या कानूनी कमी नहीं है। इस मामले में उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने पहले निर्णय दिया था कि फीस में बढ़ोतरी किये जाने में कोई कानूनी त्रुटि नही है।
अदालत ने विश्वविद्यालय के फीस बढाये जाने के निर्णय को उचित बताया था। हालांकि, न्यायालय ने अपने फैसले में विद्यार्थियों को फीस जमा किये जाने के समय बढ़ाए जाने की छूट दी थी। एकल पीठ के इस आदेश को कई कॉलेजों ने विशेष अपील में चुनौती दी। याचीगणों ने फीस बढ़ोत्तरी के आदेश को .खारिज करने की मांग करते हुए विशेष अपील दायर की थी।
अदालत ने कानपुर विश्वविद्यालय की ओर से अधिवक्ता सवित्र वर्धन भसह के तर्कों को मानते हुए फीस बढाए जाने के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया और विशेष अपील का निपटारा कर दिया। अदालत ने एक मार्च तक फीस जमा करने का समय बढा दिया है। -(एजेंसी)