नई दिल्ली। जाट आरक्षण आंदोलन को रद्द किए जाने की घोषणा के बावजूद राजधानी दिल्ली में फिलहाल सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद है। गत दिवस मुख्यमंत्री मनोहरलाल और जाट नेताओं के बीच वार्ता में समझौता हो गया। दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में हुई वार्ता में सीएम ने जाटों की मांगों को मान लिया। इसके बाद जाट नेताओं ने आंदोलनकारियों के दिल्ली कूच को टालने का एलान किया।
समझौता होने के बाद यशपाल मलिक आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे, जिसमें वे जाटों को दिल्ली बैठक में मांगों को लेकर बनी सहमति के बारे में जानकारी देंगे। सोमवार को दिल्ली पुलिस एवं पैरा मिलिट्री के साथ-साथ सेना और एनएसजी को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है। दिल्ली की सभी सीमाएं सील हैं। बाहर के राज्यों से दिल्ली आने वालों को कड़ी सुरक्षा के बाद ही दिल्ली में प्रवेश मिल रहा है।
दिल्ली में रविवार रात से प्रदर्शनकारियों के खतरे से निपटने के लिए सुरक्षा इंतजाम कितने कड़े हैं इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) पर भी अद्र्धसैनिक बलों की केवल 100 कंपनियां तैनात की जाती हैं। विशेष आयुक्त और दिल्ली पुलिस के मुख्य प्रवक्ता दीपेंद्र पाठक ने रविवार देर शाम मुख्यालय में मीडिया को दिए बयान में कहा था कि आंदोलन वापस लेने की घोषणा के बाद पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे मेट्रो, रेल एवं बसों के संचालन से रोक हटा ली गई है, जबकि आंदोलन रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने जो सुरक्षा इंतजाम किए हैं वे बरकरार रहेंगे। बार्डर से नई दिल्ली जिला तक 3 स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था रहेगी।
बार्डर पर कई लेयर बैरिकेड लगाए गए हैं। पहली बार ऐसा देखने को मिला कि बैरीकेड को आंदोलनकारी कूद न पाए इसके लिए ऊपर की तरफ कटीली तारें भी लगाई गई है। सभी बार्डर पर क्रेन, फायर ब्रिगेड, आंसू गैस के गोले छोडऩे वाली गाडिय़ां व वाटर कैनन की व्यवस्था की गई है। पैरा मिलिट्री भी तैनात की गई है।