जल्लीकट्टू को वैधानिक मान्यता, पुलिस कार्रवाई से भडक़ी हिंसा

Samachar Jagat | Tuesday, 24 Jan 2017 07:40:35 AM
Jallikattu legal recognition of violence from police action Bdkhi

चेन्नई। जल्लीकट्टू के समर्थन में मरीना समुद्र तट पर प्रदर्शन कर रहे युवा प्रदर्शकारियों पर पुलिस कार्रवाई के प्रतिक्रिया स्वरूप भडक़ी व्यापक हिंसा के चंद घंटे बाद राज्य विधानसभा ने सोमवार को प्रदेश के लोकप्रिय पारंपरिक खेल को वैधानिक मान्यता प्रदान करने वाले विधेयक को पारित कर दिया। यह कानून उस अध्यादेश की जगह लेगा, जिसे पशु क्रूरता निवारक अधिनियम में संशोधन के लिए शनिवार को लाया गया था। अध्यादेश को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंजूरी प्रदान की थी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ.पन्नीरसेल्वम ने विधेयक को विधानसभा में पेश किया, जिसके बाद इसे तत्काल एकमत से पारित कर दिया गया।

यह कानून जल्लीकट्टू को कानूनी चुनौतियों से संरक्षण प्रदान करता है। मरीना समुद्र तट पर प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शकारियों पर पुलिस की कार्रवाई के प्रतिक्रियास्वरूप व्यापक तौर पर भडक़ी हिंसा के कुछ घंटों बाद यह विधेयक पारित किया गया। प्रदर्शन स्थल खाली करने का आदेश न मानने के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग किया। समुद्र तट पर पिछले 17 जनवरी से जुटे प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाने के लिए बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी पहुंचे थे। अन्य प्रदर्शनकारियों ने इसे रोकने की कोशिश की, जिसके चलते भारी हंगामा हुआ।

उसके बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठियां चलाईं। लोग समुद्र तट से भागकर नजदीकी सडक़ों पर एकत्रित होने लगे, इसी बीच हिंसा और उपद्रव और बढ़ गया। प्रदर्शनकारियों ने चेन्नई में कई वाहनों में आग लगा दी और पुलिस पर पथराव किया। समुद्र तट से हटाए जाने से गुस्साए जल्लीकट्टू समर्थकों ने आईस हाउस पुलिस थाने में खड़े वाहनों में आग लगा दी और पुलिसकर्मियों पर ईंट-पत्थर फेंके।

दमकल की गाडिय़ों ने आग को काबू में किया। तट के पास स्थित त्रिप्लिकेन इलाके में भारी हंगामा हुआ। पुलिस ने मरीना की ओर जाने वाली कई सडक़ों पर सुरक्षाकर्मियों पर पथराव कर रहे प्रदर्शनकारियों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले भी छोड़े। पुलिस ने मरीना बीच की ओर जाने वाले सभी मार्गो को घेर लिया, जिसके बाद चेन्नई के कई हिस्सों में यातायात बाधित हो गया। आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने एक बयान में कहा, मैं तमिलनाडु के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करता हूं और इस शांतिपूर्ण जल्लीकट्टू आंदोलन को असामाजिक तत्वों को अपने हाथ में न लेने दें।

राज्यभर में हालांकि पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) के खिलाफ प्रदर्शनकारियों का आक्रोश नजर आया, लेकिन अधिकांश प्रदर्शन स्थलों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ.पन्नीरसेल्वम के विरोध में नारेबाजी सुनाई दी। कुछ प्रदर्शनकारियों की तख्तियों पर असभ्य भाषा भी लिखी नजर आई, वहीं कुछ पर अलग तमिल राष्ट्र की मांग लिखी हुई थी। भीड़ का तितर-बितर होना तब शुरू हुआ, जब मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति हरिपारंधमान ने नए कानून के साथ ही जल्लीकट्टू के दौरान सुरक्षा उपायों की बारीकियों से प्रदर्शनकारियों को अवगत कराया।

रेल की पटरियों पर प्रदर्शन के कारण कई रेलगाडिय़ां रद्द करनी पड़ीं, जिसके कारण हजारों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दक्षिण रेलवे ने सोमवार को 16 रेलगाडिय़ों को रद्द करने की घोषणा की। रेलवे के एक अधिकारी ने कहा, रेल सेवाएं बाधित होने से करीब 40,000 यात्री प्रभावित हुए। कोयम्बटूर में पुलिस ने मिट्टी के तेल का डिब्बा लेकर खुद को जलाने की धमकी दे रहे एक प्रदर्शनकारी को तुरंत काबू में किया और उसे ऐसा करने से रोका। इस बीच, प्रदर्शनकारियों ने इस मुद्दे के स्थायी समाधान की मांग की है। उन्होंने केंद्र सरकार से पशु क्रूरता निवारक अधिनियम में परफॉर्मिग एनिमल्स की सूची से सांड को बाहर करने की मांग की।

अध्यादेश जारी होने के बाद जल्लीकट्टू पथुकप्पु पेरावई के अध्यक्ष पी. राजशेखर ने प्रदर्शनकारियों से प्रदर्शन समाप्त करने का आग्रह किया। इस खेल पर सर्वोच्च न्यायालय ने मई 2014 में प्रतिबंध लगा दिया था। इस बीच, डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष और तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता एम.के. स्टालिन ने पुलिस कार्रवाई की निंदा की। वहीं, पीएमके नेता अंबुमणि रामदास ने कहा कि पार्टी ने 26 जनवरी को जल्लीकट्टू को लेकर विरोध प्रदर्शन करने का अपना फैसला वापस ले लिया है, क्योंकि राज्य सरकार ने इसके आयोजन की अनुमति के लिए अध्यादेश जारी कर दिया है।

 



 

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