नई दिल्ली। दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषकों के स्तर में भारी कमी लाने तथा क्षेत्र की वायु को सुरक्षित मानकों में लाने के लिए कई कड़े हस्तक्षेप की जरूरत है । कुछ क्षेत्रों में तो प्रदूषकों में 76 प्रतिशत तक की कमी की आवश्यकता है।
यह टिप्पणी और प्रस्ताव पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण प्राधिकरण द्वारा तैयार नई योजना का हिस्सा है जिसे हाल में उच्चतम न्यायालय को सौंपा गया है।
रिपोर्ट में आईआईटी कानपुर के एक अध्ययन द्वारा पहचान वाले 13 मुख्य प्रदूषण स्रोतों पर गौर किया गया और इसमें लघु, मध्यम एवं दीर्घावधि उपायों की सूची बनाई गई जिसे केन्द्रीय पर्यावरण सचिव की अध्यक्षता वाली एक प्रस्तावित समिति द्वारा लागू किया जाएगा।
योजना के अनुसार, दिल्ली, फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा और मेरठ में पीएम 10 में जरूरी कमी का प्रतिशत क्रमश 74, 64, 76, 56 और 60 है जबकि राष्ट्रीय राजधानी में पीएम 2 . 5 एवं नाइट्रोजन डाईआक्साइड के स्तरों में 70 और 37 . 5 प्रतिशत की कमी होनी है।
पीएम 2 . 5 और पीएम 10 का वार्षिक तय मानक भारत में क्रमश 40 एवं 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। तदनुसार 24 घंटे के मानक क्रमश 60 और सौ है।
‘वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए विस्तृत कार्य योजना’ शीला दीक्षित सरकार द्वारा तैयार 2012 ब्लूप्रिंट एवं केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की 42 सूत्री कार्य योजना तथा दिल्ली मास्टर प्लान 2021 सहित अन्य पर आधारित है। भाषा