नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को कहा कि विकास दर बनाए रखने के लिए बुनियादी ढांचे और निर्यात को बढ़ावा देने वाले निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि आवश्यक है। सिंह ने यहां पीएचडी चैंबर द्वारा आयोजित 111वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने सार्वजनिक वित्त, वित्तीय स्थिरता और रोजगार सृजन के समेकन के महत्व पर बल दिया। उन्होंने भूख और कुपोषण के व्यापक प्रसार पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जब तक भूख का समाधान नहीं होता, तब तक यह देश के विकास के लिए बड़ी बाधा हो सकती है।
उन्होंने कहा, भारत अब सात प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से आगे बढ़ रहा है। वहीं विकास की प्रक्रिया की स्थिरता के लिए निवेश की दर में उल्लेखनीय वृद्धि की जरूरत है, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में और साथ ही निर्यात क्षेत्र के पुनरुद्धार की भी आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, अब केवल विकास दर को आगे बढ़ाने की प्राथमिकता नहीं होनी चाहिए। बल्कि विकास के बहुआयामी पहलू हैं, जिसमें समानता, समावेशन, रोजगार सृजन और पर्यावरणीय स्थिरता शामिल है।
उन्होंने कहा, भारत में खाद्यान्न का सरप्लस स्टॉक है और अभी भी भूख और कुपोषण के शिकार लोगों की संख्या सबसे अधिक हमारे देश में है। यह मुख्य रूप से क्रय शक्ति में कमी और वितरण में न्याय नहीं होने का नतीजा है।
पूर्व प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य और उच्च शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया और शिक्षा व्यवस्था को रोजगार उन्मुख बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।