पानीपत। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भावगत ने शुक्रवार को कहा कि पूरी सृष्टि एक कुटंब है और भारत वसुधैव कुटुंबकम की नीति पर चलते हुए पूरी सृष्टि को अपना परिवार मानता है, इसलिए विश्व का उत्थान ही भारत का लक्ष्य है।
भागवत ने पानीपत जिले में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि जब मनुष्य कठिन परिस्थितियों में होता है तो वह सावधान रहता है लेकिन जब परिस्थितियां अनुकूल होती हैं तो वह लापरवाह हो जाता है और यह असावधानी ही उसके पतन का कारण बनती है। इसलिए अनुकूलता में सावधानी ज्यादा है।
सरसंघचालक ने कहा कि कभी हम शिखर पर थे तो कभी हम गुलाम भी रहे। यह उतार-चढ़ाव तो हमने झेले हैं। किसी भी विदेशी ने हमें अपनी ताकत से नहीं बल्कि हमारी आपसी फूट के कारण गुलाम बनाया है। इसलिए हमें प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षित करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि अनुकूलता के समय में संगठन को राष्ट्रव्यापी बनाना है जो भारत को ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व को सुख शांति की राह दिखाएगा। संघ के विचार से ही स्वयंसेवक बनते हैं। सतत साधना करना उनके जीवन में परम उद्देश्य है और उसी को वे अपने जीवन में कृति रूप से प्रदर्शन करते हैं।
उन्होंने नेपोलियन का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे कार्य में जरा सी भी ढि़लाई नहीं रहनी चाहिए। कुछ समय की देरी से पहुंचने के कारण ही नेपोलियन को वाटरलू की लड़ाई हारनी पड़ी और सारा जीवन निर्वासित व्यतीत करना पड़ा। इसलिए स्वयंसेवकों को समय और अनुशासन का सर्वथा पालन करना चाहिए।