शिव किशोर शर्मा
मुम्बई यानी माया नगरी और माया नगरी की हर चीज बेशकीमती है। यहां की कई ईमारतें ऐतिहासिक है जो इस शहर की भव्यता को दर्शाती है। मुंबई को वैसे तो देश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है और यहां की वर्षों पुरानी ईमारतों की कीमतें आसमान को चूमती है।
बात करे जिन्ना हाउस की तो इसकी कीमत भी लगभग 2600 करोड़ के आसपास है। इस जिन्ना हाउस को तोड़ने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा में विधायक मंगल प्रभात लोढा ने कहा की जिन्ना हाउस को ढहा दिया जाना चाहिए और उसके स्थान पर सांस्कृतिक केंद्र बनाया जाना चाहिए।
जिन्ना हाउस का क्षेत्रफल:
ऐतिहासिक जिन्ना हाउस लगभग ढाई एकड़ पर बना हुआ है, वर्तमान में इसकी अनुमानित कीमत 40 करोड़ अमेरिकी डॉलर और भारतीय मुद्रा के लिहाज से लगभग 2,603 करोड़ रुपए बैठती है। बाज़ार कीमतों के लिहाज से यह प्रोपर्टी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
क्या खासियत है जिन्ना हाउस की:
यूरोपीय स्टाइल में बना ये बंगला मुंबई में समुद्रतट के किनारे पर स्थित है। इसे ‘जिन्ना हाउस’ के नाम से भी जाना जाता है। जिन्ना ने इसे 1936 में 2 लाख रुपए में खरीद था और फिर उसे अपने तरीके से बनवाया था।
करीब ढाई एकड़ में बनी इस इमारत के निर्माण में अखरोट की लकड़ी और इटली के संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है। कहते हैं कि इसी घर में जिन्ना की नेहरु और गांधी के साथ ऐतिहासिक मुलाकात भी हुई थी।
कब से बंद है जिन्ना हाउस:
यह बंगला कई दशक तक ब्रिटेन के डिप्टी हाईकमिश्नर का आवास रहा है, लेकिन वर्ष 1982 के बाद से यह लगभग बंद ही पड़ा है। इस बंगले पर भारत सरकार का कब्जा है लेकिन पाकिस्तान भी इस इमारत पर अपना अधिपत्य जताता आया है।
पाक सरकार की नज़र:
पाकिस्तान सरकार इस बंगले को खरीदना चाहती है। पाकिस्तान ने इस सन्दर्भ में भारत से कई मर्तबा चर्चा भी चुका है की इस बंगले में वह अपने कॉन्स्यूलर कार्यालय बनाना चाहता है, लेकिन भारत इस आग्रह को ठुकराता रहा है।
फिलहाल इस बंगले पर ताला लगा हुआ है। साल 2007 में मोहम्मद अली जिन्ना की बेटी दिना वाडिया ने मुंबई हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर बंगले के मालिकाना हक की मांग की थी।
विभाजन के समय भारत ने किया था जब्त:
विभाजन के बाद भारत ने ऐसी सभी चल और अचल संपत्ति को जब्त कर लिया था, जो पाकिस्तानी लोगों द्वारा छोड़ी गई थी, जिन्होंने पाकिस्तान जाने का निर्णय किया था और इस तरह की संपत्ति को ‘विस्थापितों की संपत्ति’ करार दिया गया था।
कौन थे जिन्ना:
मुहम्मद अली जिन्ना बीसवीं सदी के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ थे जिन्हें पाकिस्तान के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। वे मुस्लिम लीग के नेता थे जो आगे चलकर पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल बने। पाकिस्तान में, उन्हें आधिकारिक रूप से कायदे-आजम यानी महान नेता और बाबा-ए-कौम यानी राष्ट्र पिता के नाम से नवाजा जाता है। हिन्दुस्तान में जो दर्जा महात्मा गांधी को प्राप्त है वही आदर और सम्मान जिन्ना को पाकिस्तान में प्राप्त है।
जिन्ना हाउस में तय हुई थी विभाजन की रणनीति:
मोहम्मद अली जिन्ना ने भारत के टुकड़े करने के लिए इस जगह का उपयोग किया था। भारतीय राजनीति में मुहम्मद अली जिन्ना का उदय 1916 में कांग्रेस के एक नेता के रूप में हुआ था, मुस्लिम लीग की स्थापना 1906 में हुई।
भारतीय मुसलमानों के प्रति कांग्रेस के उदासीन रवैये को देखते हुए जिन्ना ने कांग्रेस छोड़ दी। मुस्लिमों को स्वतंत्र राष्ट्र चाहिए ये भूमिका उन्होंने लीग के व्यासपीठ से पहली बार रखी, उन्होंने देश में मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा और स्वशासन के लिए चैदह सूत्रीय संवैधानिक सुधार का प्रस्ताव रखा।
लाहौर प्रस्ताव के तहत उन्होंने मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र का लक्ष्य निर्धारित किया। 1946 में ज्यादातर मुस्लिम सीटों पर मुस्लिम लीग की जीत हुई और मुहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान की आजादी के लिए त्वरित कार्रवाई का अभियान शुरू किया।
कांग्रेस की कड़ी प्रतिक्रिया के कारण भारत में व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई। मुस्लिम लीग और कांग्रेस पार्टी, गठबन्धन की सरकार बनाने में असफल रहे।
पाकिस्तान में भारतीय इमारतों की स्थिति:
पाकिस्तान में भारतीय लोगों की कई ऐतिहासिक इमारतें हैं। मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार के पेशावर में स्थित पुश्तैनी घर है जो आज बदहाल अवस्था में है। इसी प्रकार शहीदे आजम भगत सिंह का भी फैसलाबाद जिले के जरांवाला तहसील स्थित बंगा गांव पुस्तैनी मकान है जो अपनी बदहाली की कहानी बयां करता है।