नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) में अंतरिम निदेशक पद पर राकेश अस्थाना की नियुक्ति को लेकर पंजीकृत संस्था कामन काज ने उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका में कहा है कि केंद्र सरकार का यह कदम दुर्भावना से प्रेरित, निरंकुश और अवैध है। इस मामले में कल उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हो सकती है।
इस याचिका में अस्थाना की अंतरिम निदेशक पद पर नियुक्ति को खारिज करने और केंद्र सरकार को नियमों के मुताबिक एक नियमित निदेशक की नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया के निर्देश दिये जाने की मांग की गई है।
कामन काज संस्था का तर्क है कि सीबीआई में अंतरिम निदेशक पर अस्थाना को नियुक्त करके सरकार ने दुर्भावना से प्रेरित, निरंकुश और अवैध रवैये का परिचय दिया है।
संस्था ने शीर्ष अदालत को अवगत कराया कि अस्थाना उस विशेष जांच दल(एसआईटी) के प्रमुख रह चुके हैं जिसने वर्ष 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले की जांच की थी और वह गुजरात पुलिस में कई अहम पदों पर रह चुके हैं।
याचिका में कहा गया है कि पिछले एक दशक में यह पहला मौका है ,जब सीबीआई में किसी को अंतरिम निदेशक बनाया गया है और केंद्र सरकार को सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा के उत्तराधिकारी के चयन की प्रक्रिया काफी पहले ही शुरु कर देनी चाहिये थी।