नई दिल्ली। जेएनयू के एक दलित शोध छात्र की कथित खुदकुशी के मामले में दिल्ली पुलिस ने एक प्राथमिकी दर्ज की, जबकि एम्स ने पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट में इस बात से इनकार किया कि उसकी मौत के पीछे कोई साजिश है। जेएनयू सेंटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीज में एम. फिल के छात्र मुथु कृष्णन 28 ने सोमवार को अपने दक्षिण कोरियाई दोस्त के मुनीरका स्थित घर की छत के फंखे से लटक कर कथित तौर पर खुदकुशी कर ली थी।
कृष्णन के पिता ने कल अपने बेटे की मौत के मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी। अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त दक्षिण चिन्मय बिस्वाल ने कहा, ‘‘हमने खुदकुशी के लिए उकसाने का एक मामला दर्ज किया है और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति प्रताडऩा रोकथाम कानून की संबंधित धाराएं लगाई गई हैं । अज्ञात लोगों के खिलाफ यह मामला दर्ज किया गया है ।’’ बिस्वाल ने कहा, ‘‘हमें उनके पिता से एक शिकायत मिली थी और अपनी अभियोजन शाखा से राय लेने के बाद हमने वसंत विहार पुलिस थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की ।’’
दलित शोधार्थी का शव कल पोस्ट मॉर्टम के लिए एम्स ले जाया गया था और अस्पताल ने पोस्ट मॉर्टम के लिए पांच डॉक्टरों का एक मेडिकल बोर्ड गठित कर दिया था । अस्पताल ने पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराने के निर्देश भी जारी किए थे । पोस्ट मॉर्टम आज संपन्न हुआ। एम्स के मेडिकल बोर्ड, जिसमें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के भी सदस्य थे, ने कहा कि कृष्णन की मौत दम घुटने से हुई और उनके शरीर पर चोट का भी कोई निशान नहीं पाया गया ।
एम्स के फोरेंसिक विभाग के प्रमुख डॉ. सुधीर गुप्ता ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मौत सांस रूकने की वजह से हुई । उनके शरीर के किसी भी हिस्से पर चोट का कोई निशान नहीं है ।’’ इस बीच, दिल्ली यूनिवर्सिटी, जामिया मिलिया इस्लामिया के दलित शिक्षकों, दलित लेखकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं जेएनयू में बिरसा, अंबेडकर, फुले छात्र संघ की इकाई ने एक साथ आकर मांग की कि शिक्षण संस्थाओं में भेदभाव के खिलाफ सुखदेव थोराट समिति की सिफारिशें लागू की जाए । -(एजेंसी)