नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय आज उस याचिका पर 25 नवंबर को सुनवाई के लिए तैयार हो गया, जिसमें दो साल पहले दो कंपनियों में आयकर विभाग और सीबीआई की ओर से की गई छापेमारी के दौरान कथित तौर पर ‘‘अभियोग के लायक’’ साक्ष्य और ‘‘बेेहिसाबी’’ नगद बरामद होने के मामले की जांच के लिए एक एसआईटी के गठन की मांग की गई ।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह बात उस वक्त कही जब याचिकाकर्ता एनजीओ कॉमन कॉज की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने शीर्ष न्यायालय से इस मामले में जल्द सुनवाई करने का आग्रह किया ।
याचिका में सीबीआई, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड सीबीडीटी और केंद्रीय सतर्कता आयोग सीवीसी को यह निर्देश देने की मांग की गई कि वे ‘‘छापेमारी में जब्त किए गए दस्तावेज और रिकॉर्ड उच्चतम न्यायालय के समक्ष पेश करे ।’’
इस अर्जी में अधिकारियों के लिए यह निर्देश पारित करने की भी मांग की गई कि वे संबंधित कारोबारी घरानों को जब्त किए गए दस्तावेज नहीं लौटाएं ।
वकील प्रशांत भूषण के जरिए दाखिल की गई इस याचिका में दावा किया गया कि दोनों कारोबारी समूहों के यहां हुई छापेमारी के दौरान ‘‘कार्रवाई के लायक जो भी सबूत इकट्ठा किए गए, उन्हें आयकर विभाग और सीबीआई ने चुपचाप दबा दिया ।’’
याचिका में आरोप लगाया गया, ‘‘मुंबई में सीबीआई की छापेमारी में जब्त दस्तावेजों से विभिन्न मंत्रालयों के नेताओं और अधिकारियों की बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी का खुलासा हुआ है।’’