मैं सहमत नहीं कि भारतीय असहिष्णु हैं : प्रणब मुखर्जी

Samachar Jagat | Friday, 31 Mar 2017 10:00:25 PM
I refuse to agree that Indians are intolerant says President Pranab Mukherjee

गुवाहाटी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को कहा कि भारत की परंपरा असहिष्णुता को कभी जगह नहीं देती क्योंकि आपसी सहअस्तित्व एवं समझ के साथ विविधता में एकता देश की मजबूती है।

‘नमामि ब्रहमपुत्र’ महोत्सव के उद्घाटन समारोह के मौके पर यहां मुखर्जी ने कहा कि जब लोग भारतीयों पर असहिष्णु होने का तमगा लगाते हैं तो वह इससे सहमत नहीं होते।

राष्ट्रपति ने कहा कि पूरे भारत में 200 भाषाएं बोली जाती हैं जबकि देश में सभी प्रमुख सात धर्मों के अनुयायी हैं। विश्व में कहीं भी इतनी जातीय विविधता नहीं है।

उन्होंने कहा कि अगर यह कहा जाए कि भारतीय तार्किक होते हैं, मैं सहमत हो जाऊंगा। लेकिन अगर यह कहा जाए कि भारतीय असहिष्णु होते हैं तो मैं सहमत होने से इंकार करूंगा। असहिष्णुता को कभी जगह नहीं मिली।

उन्होंने कहा कि मतों में विविधता होगी। भारत की जनता में एकता का संबंध खोजने की क्षमता है।

मुखर्जी ने कहा कि भारत के आर्थिक केंद्र के तौर पर उभर रहा असम आसियान देशों के लिए देश के गलियारे के तौर पर काम करने के लिए बिल्कुल सही जगह स्थित है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत जल्द ही दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन आसियान के साथ अपने संबंधों की 25वीं वर्षगांठ मनाएगा।

उन्होंने कहा कि असम के महान विद्वान और समाज सुधारक शंकरदेव की शिक्षाएं और इस देश की परंपराएं कभी भी असहिष्णुता को बढ़ावा नहीं देतीं।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय निवेश और व्यापार के लिये दक्षिण पूर्व एशिया एक अहम जगह है।

असम में ‘‘विकास की प्रचूर संभावनाओं’’ का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि राष्ट्रीय जलमार्ग में अंतरदेशीय जल परिवहन प्रणाली यहां के आर्थिक परिदृश्य को बदल सकती है।



 

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