नई दिल्ली। नोटबंदी के जिस ऐतिहासिक फैसले की पूरे भारत सहित विदेशों में चर्चा हो रही है, जिसने रातोंरात हर भारतीय की पॉकेट पर असर डाला। आखिर उस गुप्त प्लान को किसने तैयार किया था। यह सवाल हर शख्स के जेहन में है। आपको बता दें कि इस निर्णय को अमल में लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे भरोसेमंद अफसरशाह को चुना था जिसे आर्थिक महकमे से बाहर ज्यादा लोग जानते भी नहीं हैं।
पीएम ने नोटबंदी की योजना को गुप्त रखने के लिए भरोसेमंद अधिकारी सहित 6 लोगों की टीम को चुना था। सूत्रों के मुताबिक पीएम के भरोसेमंद अधिकारी हसमुख अधिया और 5 अन्य लोगों को गुप्त प्लान के बारे में पता था। साथ ही मोदी के आधिकारिक आवास में एक रिसर्चर्स की टीम इस अहम योजना को सफल बनाने के लिए दिन-रात लगी हुई थी। योजना को गुप्त रखना भी जरूरी था, अगर ऐसा नही होता तो कालाधन रखने वाले अपने-अपने तरीके से ब्लैकमनी को वाइट कर लेते। ।
योजना को लागू करने में बरती सर्तकता
इस योजना को लागू करने के लिए काफी सर्तकता बरती गई। मामले को पूरी तरह गोपनीय रखा गया था। हालांकि इस बीच कुछ ऐसे बयान आ रहे थे जिससे नए नोटों की छपाई की बात सामने आई। इस साल मई में आरबीआई ने बताया था कि वह नई सीरीज के नोटों की छपाई की तैयारी कर रहा है। अगस्त में 2000 रुपये के नए नोट के डिजाइन को मंजूरी दी गई थी। अक्टूबर के अंत में मीडिया में इस तरह की खबरें आने लगी थी। पहले नोटबंदी योजना को 18 नवंबर को लागू करना था, लेकिन इसके लीक होने की आशंका के बाद इसे जल्दी लागू किया गया।
पीएम ने इमेज को लगाया दांव पर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा कर अपनी इमेज और साख को दांव पर लगा दिया है। 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा करने के बाद मोदी ने कैबिनेट की बैठक बुलाई थी। कैबिनेट की बैठक में शामिल तीन मंत्रियों के अनुसार मोदी ने इस बैठक में कहा था, मैंने इसके लिए सभी तरह का रिसर्च किया है। अगर यह योजना असफल होती है तो यह मेरी जिम्मेदारी होगी।
खुद पीएम ने की निगरानी
पीएम मोदी नोटबंदी लागू करने की निगरानी निजी स्तर पर देख रहे थे। इसके अलावा अधिया के नेतृत्व में एक टीम इस मामले पर नजर बनाए हुए थी। वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी अधिया 2003-06 में गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान प्रधान सचिव के तौर काम किया था। अधिया और मोदी के बीच विश्वास का रिश्ता यहां भी कायम रहा। अधिया को 2015 में राजस्व सचिव बनाया गया था। वैसे तो अधिया की रिपोर्टिंग वित्त मंत्री अरुण जेटली को थी, लेकिन वास्तविकता यह है कि वह सीधे मोदी के साथ संपर्क में रहते थे और जब दोनों इस मुद्दे पर मिलते थे गुजराती में बात करते थे।
एक साल से चल रही थी प्लानिंग
पीएम मोदी ने ब्लैक मनी के खिलाफ लड़ाई के लिए एक साल पहले अधिकारियों, वित्त मंत्रालय और आरबीआई के अधिकारियों की टीम बनाई थी। मोदी ने अधिकारियों से पूछा था कि कितनी जल्दी नए नोट छापे जा सकते हैं? कैसे इसकी सप्लाई की जा सकती है? नोटबंदी से किसे फायदा मिलेगा?